बिहार के नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर अपने स्पष्ट और साहसिक रुख के लिए पहचाने जाते हैं। उनका कहना है कि यह कानून भारतीय संविधान के मूल्यों को सशक्त करता है और उन लोगों को नागरिकता का अधिकार देता है, जो धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हुए हैं।
आरिफ मोहम्मद खान ने एक बयान में कहा था कि “CAA का उद्देश्य पड़ोसी देशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों को सम्मानजनक जीवन प्रदान करना है। यह कानून भारतीय नागरिकों के अधिकारों को प्रभावित नहीं करता और संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के अनुरूप है।”
2019 में केरल के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान आरिफ मोहम्मद खान ने CAA का समर्थन करते हुए इसे “सामाजिक न्याय” का एक महत्वपूर्ण कदम बताया था। उन्होंने कहा था कि यह कानून किसी के अधिकार छीनने के लिए नहीं, बल्कि उत्पीड़ित लोगों को अधिकार देने के लिए बनाया गया है।
उन्होंने यह भी जोर दिया कि इस कानून को लेकर फैलाई जा रही गलतफहमियां राजनीतिक कारणों से हैं। CAA का किसी भारतीय नागरिक से कोई संबंध नहीं है, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय का हो।
CAA को लेकर जब देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए, तब भी आरिफ मोहम्मद खान अपने रुख पर अडिग रहे। उन्होंने कहा कि “राजनीति और वोट बैंक की सोच के कारण इस कानून को विवादित बनाया गया। लेकिन यह कानून उन लाखों पीड़ितों को राहत प्रदान करेगा, जो लंबे समय से न्याय की आस लगाए बैठे हैं।”
आरिफ मोहम्मद खान ने हमेशा भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्षता और न्याय के सिद्धांतों को सर्वोपरि माना है। उन्होंने कहा कि CAA को इसी दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए। यह कानून किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह मानवता की रक्षा के लिए है। इसे राजनीतिक चश्मे से देखना गलत होगा।