बिहार में स्वास्थय कर्मचारियों द्वारा आए दिन लापरवाही से जुड़ा मामला सामने आता है। लेकिन अब राज्य सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर काफी सख्ती कर रही है। इसी बीच स्वास्थय विभाग ने नई और बड़ी पहल के साथ सिविल सर्जन की आयु को अब 50 वर्ष के लिए लिमिट कर दिया है। दरअसल, यह पहल राज्य के अंदर बेहतर स्वास्थय सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया जा रहा है। बता दें कि राज्य में अब तक अधिकतर सिविल सर्जन की आयु 50 वर्ष से अधिक है। जिसको लेकर उनकी कार्यशैली में लगातार सवाल उठते रहे हैं। इसी परेशानी को देखते हुए विभाग द्वारा यह निर्णय लिया गया है।
सिविल सर्जन की भूमिका सर्वाधिक
इस विषय में स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि सिविल सर्जन फील्ड के लिए सबसे सक्षम होते हैं। जिस कारण उनको चुस्त-दुरुस्त रहना काफी जरूरी होता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ही राज्य सरकार ने इस नए प्रस्ताव को लाया है। जिसके तहत अब राज्य में सिविल सर्जन की आयु को अब 50 वर्ष ही लिमिट कर दिया गया है। वही 50 से अधिक उम्र वाले चिकित्सकों को सिविल सर्जन की जिम्मेवारी नहीं दी जाएगी। मिली सूचना के मुताबिक इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया गया है। जिसे जल्द ही लागू कर दिया जाएगा।
बेमतलब रेफर करने से बढ़ेगी मुश्किलें
इस निर्णय के साथ ही सरकार ने बिना उचित वजह से प्रखंड व जिलों के अस्पतालों द्वारा मरीजों को रेफर करने वाले चिकित्सकों पर भी सख्त कार्रवाई करने की योजना बनाई रही है। जिसको देखते हुए स्वास्थय विभाग ने डॉक्टरों की इस कार्यशैली में सुधार लाने के लिए रेफरल पॉलिसी बनाने का निर्णय लिया है। जिसका ड्राफ्ट भी तैयार हो चुका है। इस बात को कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा।