बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने साइबर अपराध के खिलाफ अपनी कार्रवाई को नए आयाम पर पहुंचा दिया है। 2023 में शुरू किए गए विशेष अभियानों और संसाधनों के उन्नयन के साथ, बिहार अब देश के शीर्ष राज्यों में शामिल हो गया है, जो साइबर अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण और कार्रवाई सुनिश्चित कर रहे हैं।
फरवरी 2023 में शुरू की गई NCRP Helpline 1930 का 24×7 संचालन साइबर अपराध नियंत्रण में मील का पत्थर साबित हुआ। 2022 में जहां कुल 3.86 लाख कॉल्स में से केवल 5.25% कॉल्स का उत्तर दिया गया था, वहीं 2024 में 16.40 लाख कॉल्स में से 96% का समाधान किया गया।
जून 2023 में राज्य के 44 पुलिस जिलों में 44 साइबर थाने अधिसूचित किए गए, जो अब पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं। इन थानों को आर्थिक अपराध इकाई द्वारा राज्य स्तर पर निर्देशित किया जा रहा है।
साइबर अपराध रोकने में उपलब्धियां
- धनराशि होल्ड करने में वृद्धि: फरवरी 2023 में ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में 7.41 करोड़ रुपये में से केवल 6.48% राशि होल्ड कराई गई थी। नवंबर 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर 16.75% (40.24 करोड़ में से 6.74 करोड़) हो गया।
- राशि रिफंड: 2023 में मात्र 49 हजार रुपये रिफंड किए गए थे, जबकि 2024 में 47.10 लाख रुपये पीड़ितों को लौटाए गए।
- प्राथमिकी दर्ज: बिहार में साइबर अपराध की शिकायतों पर अब तक 6011 प्राथमिकी दर्ज हुई हैं।
- डिजिटल अरेस्ट: 301 मामलों में 1.5 करोड़ रुपये होल्ड कराए गए।
विशेष अभियान और तकनीकी उन्नति
ऑपरेशन साइबर प्रहार: जून 2024 से चलाए गए इस अभियान के तहत 120 साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी हुई। अन्य जिलों ने कुल 688 अपराधियों को पकड़ा।
- साइबर तकनीकी सहायता दल: इस दल ने अब तक 2308 साइबर मामलों को सुलझाने में तकनीकी मदद दी।
- सोशल मीडिया मॉनिटरिंग यूनिट: मार्च 2024 से शुरू इस यूनिट ने 419 मामलों में कार्रवाई की, 205 आपत्तिजनक पोस्ट हटाए, और 39 प्राथमिकी दर्ज की।
आर्थिक अपराध इकाई ने साइबर अपराध रोकथाम के लिए स्कूलों, कॉलेजों, और अन्य संस्थानों में जागरूकता अभियान चलाया। वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2024-25 तक 7315 पुलिसकर्मियों और अन्य अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया।
भविष्य की योजनाएं
1. साइबर प्रभाग का गठन: बिहार पुलिस मुख्यालय में एक समर्पित साइबर प्रभाग प्रस्तावित है।
2. साइबर फोरेंसिक लैब: राज्य सरकार ने दो नई साइबर फोरेंसिक प्रयोगशालाओं को मंजूरी दी है।
3. साइबर कमांडो विंग: 14C गृह मंत्रालय के सहयोग से विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कमांडो तैयार किए जाएंगे।
4. C-DAC के साथ साझेदारी: साइबर फोरेंसिक और सुरक्षा उपकरणों के विकास के लिए पटना में रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर स्थापित किया जा रहा है।