बिहार पुलिस में 21,391 सिपाही पदों की बहाली के लिए आयोजित लिखित परीक्षा का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। इस परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर चयनित अभ्यर्थियों को अगले चरण, यानी शारीरिक दक्षता परीक्षा (पीईटी) के लिए बुलाया जाएगा। यह परीक्षा उन उम्मीदवारों के लिए निर्णायक होगी जो बिहार पुलिस बल में अपना स्थान सुनिश्चित करना चाहते हैं।
चयन प्रक्रिया का दूसरा चरण: शारीरिक दक्षता परीक्षा की चुनौती
लिखित परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर कुल विज्ञापित रिक्तियों के आरक्षण कोटिवार पांच गुणा यानी लगभग 1.07 लाख अभ्यर्थियों का चयन शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए किया जाएगा। यह शारीरिक परीक्षा तीन प्रमुख स्पर्धाओं—दौड़, ऊंची कूद, और गोला फेंक—पर आधारित होगी।
शारीरिक दक्षता परीक्षा में कुल 100 अंक होंगे, जिनमें से दौड़ के लिए 50 अंक, गोला फेंक और ऊंची कूद के लिए 25-25 अंक निर्धारित किए गए हैं। पुरुष अभ्यर्थियों को 1.6 किमी की दूरी पांच मिनट से कम समय में तय करनी होगी, जबकि महिला अभ्यर्थियों को एक किमी की दूरी चार मिनट से कम समय में पूरी करनी होगी, ताकि वे पूरे 50 अंक प्राप्त कर सकें। इसी तरह, गोला फेंक और ऊंची कूद में भी न्यूनतम मापदंडों को पूरा करना अनिवार्य होगा। यदि कोई अभ्यर्थी इन मापदंडों को पूरा नहीं कर पाता है, तो उसे असफल घोषित कर दिया जाएगा।
शारीरिक मापदंड और उनके महत्व
शारीरिक दक्षता परीक्षा के अलावा, अभ्यर्थियों को ऊंचाई, सीना, और वजन के न्यूनतम मापदंडों को भी पूरा करना होगा। पुरुषों की ऊंचाई कोटिवार 160 से 165 सेमी और महिलाओं की ऊंचाई 155 सेमी होना अनिवार्य है। पुरुषों के लिए सीने की माप बिना फुलाए 79 से 81 सेमी और फुलाकर 84 से 86 सेमी होनी चाहिए। महिला अभ्यर्थियों के लिए सीने की माप का कोई मानदंड नहीं है, लेकिन उनका न्यूनतम वजन 48 किग्रा होना चाहिए।
लिखित परीक्षा: केवल क्वालिफाइंग, मेधा सूची का आधार नहीं
केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) ने स्पष्ट किया है कि लिखित परीक्षा केवल शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए क्वालिफाइंग है और इसका उपयोग मेधा सूची तैयार करने के लिए नहीं किया जाएगा। लिखित परीक्षा में 30 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए अयोग्य घोषित किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया गया है कि शारीरिक दक्षता के न्यूनतम मापदंडों में किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी जाएगी, जिससे परीक्षा की निष्पक्षता और कड़ी प्रतिस्पर्धा बनी रहे।