बिहार सरकार की मुख्यमंत्री पेयजल निश्चय योजना के तहत पीएचडीई विभाग द्वारा निकाली गई निविदाओं में अनियमितता के संबंध में भाजपा नेता व पूर्व विधान पार्षद डॉ. रणबीर नंदन ने सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखा है। इस पत्र में डॉ. नंदन ने कहा है कि मुख्यमंत्री पेयजल निश्चय योजना राज्य सरकार की सात निश्चय योजनाओं में से एक महत्वकांक्षी योजना है। लेकिन पीएचईडी विभाग की ओर से इसके क्रियान्वयन में भारी अनियमितता बरती जा रही है।
डॉ. नंदन ने कहा है कि अभी प्रकाशित निविदा में विभाग ने सिविल अनुभव 25 प्रतिशत की मांग की, लेकिन विभाग ने ही उन निविदाकारों को जलापूर्ति योजना के विभिन्न अवयवों की मात्रा की डिमांड कर निविदा में भाग लेने से वंचित कर दिया। डॉ. नंदन ने यह भी आरोप लगाया है कि निविदा समाप्ति के तीन दिन पूर्व तक निविदा में संशोधन किया गया है और इसके लिए कैबिनेट की अनुमति भी नहीं ली गई है। साथ ही निविदा प्रक्रिया पूरी होने के दो दिन पूर्व ही कुछ चुनिंदा संवेदकों व फर्मों को अनुबंधित करने के लिए उन्हें डिबार सूची से मुक्त किया गया है।
डॉ. नंदन ने कहा कि अररिया, सुपौल, किशनगंज, कटिहार, फारबिसगंज के साथ कुछ अन्य जिलों में छोटी निविदाओं को समाहित कर बड़े ग्लोबल टेंडर बनाए गए ताकि कुछ चिन्हित संवेदकों या फर्मों को अनुबंधित किया जा सके। साथ ही निविदा का प्राक्कलन भी बिना किसी जमीनी समीक्षा के बनाया गया है। कई स्थलों पर निविदा की मूल राशि से आधा कार्य भी नहीं होना है, लेकिन सरकार को वित्तीय क्षति पहुंचाने के लिए इसमें अनियमितता की गई है। डॉ. नंदन का दावा है कि उनके पास ऐसे स्थलों के साक्ष्य भी हैं। उन्होंने कहा है कि अगर जांच हो तो राज्य सरकार भारी राजस्व नुकसान से बच सकती है।
डॉ. नंदन ने विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि निविदा के पूर्व ही संवेदकों को निविदा आवंटित करने के लिए अवैध रूप से रुपए की मांग की गई है। जिसने इस मांग को पूरा किया, उन्हें डिबार लिस्ट से हटाकर निविदा प्रक्रिया में शामिल करने योग्य घोषित किया गया। जबकि 400 संवेदकों को डिबार लिस्ट में रखा गया है। इस बात की पुष्टि सत्यापन जांच के द्वारा की जा सकती है।
डॉ. नंदन ने पत्र में लिखा है कि विभाग द्वारा ऐसे भी निविदा प्रकाशित किए गए हैं, जिनमें करीब 200 से ज्यादा स्थलों पर कार्य होने के लिए अवधि सिर्फ 12 से 15 माह रखे गए। जबकि यह समयावधि वास्तविक परिस्थिति के अनुरुप नहीं है।
साथ ही पूर्व विधान पार्षद डॉ. नंदन ने सीएम से आग्रह किया है कि वर्तमान अभियंता प्रमुख व विभाग के प्रधान सचिव ने गड़बड़ी करते हुए पूर्व से निर्धारित एसबीडी, एमबीडी के निविदा में नियम एवं शर्तों को पूरी तरह बदलकर नए नियमों को जोड़ा गया, जो त्रुटिपूर्ण है एवं नियमानुकूल नहीं है। इसलिए मुख्यमंत्री स्वयं हस्तक्षेप कर पीएचईडी की इन निविदाओं पर रोक लगाएं ताकि राजस्व के लूट पर अंकुश लगे और सरकार की छवि जनमानस के लिए हितकारी सिद्ध हो।