लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने उन 195 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी, जहां उसे कोई परेशानी नहीं थी। लेकिन इसमें बिहार की कोई सीट शामिल नहीं थी। इसके पीछे का कारण यह माना जा रहा है कि यहां नीतीश कुमार, चिराग पासवान, पशुपति पारस, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा जैसे सहयोगियों के साथ सीटों पर तालमेल नहीं हो पा रहा है। सबसे अधिक मुश्किल चिराग पासवान और नीतीश कुमार के एडजस्टमेंट में हो रही है। क्योंकि दोनों के पास 2019 में ठीक-ठाक सीटें थीं। लेकिन 2019 के बाद दोनों के रोल में बदलाव आया। 2020 में चिराग एनडीए से बाहर हुए। तो 2022 में नीतीश एनडीए छोड़कर गए। इसके बाद 2023 में चिराग ने एनडीए में आधिकारिक वापसी की। फिर 2024 में नीतीश भी एनडीए में वापस आ गए। दोनों एनडीए में तो आ गए लेकिन इन दोनों की बातों को पूरा करने में भाजपा नेतृत्व के पसीने छूट रहे हैं। हालांकि BJP ने एक ऐसा दांव चल दिया है, जो नीतीश कुमार और चिराग पासवान दोनों को एकसाथ खुश कर रहा है। इसके साथ ही इसी दांव में हाजीपुर और जमुई लोकसभा सीट के साथ वाल्मीकिनगर सीट की भी सेटिंग पूरी हो गई है।
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हाजीपुर के लिए चिराग को मिला ग्रीन सिग्नल
दरअसल, चिराग पासवान को हाजीपुर सीट के लिए ग्रीन सिग्नल भाजपा से मिल गया है। यह सीट पशुपति पारस के पास है लेकिन भाजपा ने चिराग को बता दिया है कि उनकी इच्छा के अनुसार हाजीपुर सीट अब वे लड़ेंगे। पशुपति पारस के लिए अलग सांत्वना की कोशिशें चल रही हैं। पारस को क्या मिलेगा, यह तो आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन चिराग को हाजीपुर देकर भाजपा ने उन्हें अपने पाले में मजबूती से बनाए रखने में सफलता हासिल कर ली है। इसके साथ ही चिराग से दूसरी बातों पर चर्चा के लिए भाजपा को एक मजबूत आधार भी मिल गया है।
जमुई सीट खाली करेंगे चिराग
ऐसे मुद्दे कम ही होते हैं, जिसमें चिराग पासवान और नीतीश कुमार एक साथ खुश हो सकें। लेकिन चिराग को हाजीपुर देकर भाजपा ने नीतीश और चिराग दोनों को एकसाथ खुश कर दिया है। चिराग पासवान अपनी जिद पूरी होने से खुश हैं। वे इसलिए भी खुश हैं कि उन्हें अपने पिता की कर्मभूमि वाली सीट मिल रही है। दूसरी ओर नीतीश कुमार इसलिए खुश हैं कि चिराग हाजीपुर शिफ्ट होंगे तो जमुई सीट खाली होगी। जमुई सीट पर नीतीश का इंटरेस्ट अशोक चौधरी के कारण है। एनडीए में लौटने से पहले से ही अशोक चौधरी ने जमुई सीट पर फील्डिंग शुरू कर दी थी। जमुई दोरों के कारण अशोक चौधरी तो अपनी पार्टी जदयू के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से भी टकरा गए थे। ललन सिंह उन्हें जमुई जाने से रोकने की कोशिश में थे लेकिन अशोक चौधरी अड़े रहे। अब यह माना जा रहा है कि चिराग के हाजीपुर आने पर जमुई सीट जदयू के खाते में जाएगी और वहां से लोकसभा चुनाव 2024 में उम्मीदवार अशोक चौधरी होंगे।
वैसे तो हाजीपुर सीट मिलना ही चिराग पासवान की सबसे बड़ी जीत है लेकिन अपनी पार्टी की जमुई सीट नीतीश कुमार की पार्टी को देना चिराग को अखर रहा है। इसलिए वे भी नीतीश कुमार के खाते में रही एक सीट अपने हिस्से मिलाना चाहते हैं। यह तलाश वाल्मीकिनगर सीट पर पूरी होती है, जहां से 2019 में जदयू उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। 2019 में वैद्यनाथ प्रसाद महतो जीते थे। उनके निधन के बाद जदयू उम्मीदवार सुनील कुमार 2020 के उपचुनाव में जीते। अब जमुई सीट जदयू के खाते में जाने के बाद वाल्मीकिनगर सीट चिराग पासवान के हाथों में आ रही है, जहां से उनके प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी के उम्मीदवार होने की प्रबल संभावना है।