पिछले 10 सालों में BJP ने कई दलों के दिल बदल दिए हैं। 2014 के बाद तो कई पार्टियां अपने मूल चरित्र से ही भटकने लगी। यह असर बिहार में ही नहीं, पूरे देश में दिख रहा है। BJP में Narendra Modi युग के उदय के साथ ही जो खटपट राजनीतिक दलों में मची, उसे कभी क्षेत्रीय पार्टियों पर हमला बताया गया तो कभी समाजवाद पर। लेकिन हकीकत यही निकली कि BJP की स्ट्रेटजी के सामने कई दलों को अपनी पूरी स्ट्रेटजी बदलनी पड़ी। ताजा उदाहरण बिहार में दिखा। जिस Bal Thakre ने Lalu Yadav को लफंदर, तड़ीपार, कुंठित कहा, उनके पोते आदित्य ठाकरे के स्वागत में Tejashwi Yadav रेड कारपेट बिछाए हुए हैं। बाल ठाकरे ने बिहारियों को बीमारी कहा और अब उसी पार्टी की अगली पीढ़ी का स्वागत बिहार के CM और डिप्टी सीएम शान से कर रहे हैं।
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BJP ने बदल दी दलों की चाल
देश की राजनीति में बड़ा बदलाव BJP में Modi युग की शुरुआत के कारण आया। जैसे ही Gujrat के सीएम नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री हुई, सबसे पहले Nitish Kumar ने अपनी चाल बदली। जिस लालू और RJD विरोध का झंडा उठाए नीतीश बिहार में सत्ता तक पहुंचे थे, वो मुद्दा ही नीतीश कुमार ने खत्म कर दिया। कुछ ऐसा ही हाल Maharashtra में शिवसेना के साथ हुआ। Shivsena महाराष्ट्र में अपना मुख्यमंत्री बनाने की जिद लिए कांग्रेस के साथ हो गई। जिसे शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे आजीवन कोसते रहे।
Modi विरोध में ‘लालू’ के खिलाफ हुए तेजस्वी
बिहार में तो हालात ऐसे बदले हैं कि 20वीं और 21वीं सदी का अंतर साफ दिखने लगा है। 20वीं सदी के आखिरी दशक में लालू यादव के राजनीतिक दुश्मन नीतीश कुमार भी थे और बाल ठाकरे भी। यह दुश्मनी 21वीं सदी में भी जारी रही। लेकिन तेजस्वी ने Modi और BJP के विरोध के लिए ‘राजपाट’ संभालते ही लालू की ही नीति का विरोध शुरू कर दिया है। बिहारियों को जब शिवसेना के गुंडे मुंबई में पीटते थे तो लालू खुलकर बोलते थे। जब लालू बोलते थे तो बाल ठाकरे जवाब भी खुलकर देते थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 8 मई 2012 को बाल ठाकरे ने कहा कि ‘लालू लफंदर हैं… उनका दिमाग ठिकाने पर नहीं हैं। ’ वहीं लालू ने राज ठाकरे के गुंडों के द्वारा बिहारियों की पिटाई पर लालू ने कहा था कि – राज ठाकरे को बिहार भेजिए, अनुशासित कर भेजेंगे।