बिहार में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव से तीन नतीजे निकले। इसमें पहला तो ये रहा कि भाजपा और राजद ने अपनी अपनी सीट बचाने में कामयाबी हासिल कर ली। दूसरा नतीजा ये रहा कि मोकामा में अनंत सिंह का जलवा उनके जेल जाने से भी कम नहीं हुआ। लेकिन तीसरा नतीजा ये हुआ कि दोनों सीटों पर हुए उपचुनाव में नीतीश कुमार पूरी तरह एक्सपोज हो गए।
मोकामा की जीत भी तेजस्वी के जख्मों पर नहीं लगा सकी मरहम
नीतीश रहे पूरी तरह बेअसर
गोपालगंज और मोकामा विधानसभा के उपचुनाव में यह बात वोट शेयर से साबित हो गई कि नीतीश फैक्टर इन दोनों सीटों पर कोई असर नहीं रखता। यह बात भाजपा और राजद को मिले वोट शेयर से साफ हो जाती है। 2020 में नीतीश कुमार भाजपा के साथ थे। तब भाजपा के उम्मीदवार सुभाष सिंह को 77791 वोट मिले थे। इस बार नीतीश कुमार राजद के साथ हैं। फिर भी भाजपा को 70053 वोट मिले। भाजपा को जो थोड़े कम वोट मिले हैं, उसका एक कारण वोटिंग प्रतिशत का गिरना भी रहा है। वहीं मोकामा की बात करें तो 2020 में अनंत सिंह ने नीतीश के उम्मीदवार के खिलाफ 78721 वोट हासिल किए। जीत का मार्जिन 35757 वोट रहा था। जबकि 2022 में नीतीश कुमार के साथ होते हुए अनंत सिंह की पत्नी को 79744 वोट मिले। वहीं जीत का मार्जिन घटकर 16741 रह गया।
सेफ गेम खेल भाजपा व राजद को भिड़ाया
उपचुनाव में सीएम नीतीश कुमार ने सेफ गेम खेला। दोनों सीटों में से किसी पर सीएम नीतीश ने न अपने उम्मीदवार दिए और न ही उसके लिए थोड़ी भी हुज्जत की। भाजपा और राजद को लड़ने के लिए आगे कर दिया। चुनाव प्रचार के लिए भी नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने बहुत हाथ पांव नहीं मारे। लेकिन जब जदयू-राजद में टकराव की आशंका उठने लगी तो जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने मोर्चा संभाला। लेकिन नीतीश कुमार प्रचार में नहीं गए। सीएम की ओर से चोट लगने को प्रचार में नहीं जाने का कारण बताया गया। हालांकि इस पर सुशील मोदी ने सवाल भी उठाए कि छठ घाट घूम रहे हैं तो प्रचार में क्या दिक्कत है।