जातिगत गणना कराये जाने को लेकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने आज ट्वीट कर भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधा था। वहीं लालू यादव के बयान पर बिहार भाजपा के नेताओं ने पलटवार किया है। पटना में भाजपा प्रदेश कार्यालय में पार्टी के सदस्यता अभियान के तहत मीडिया से बात करते हुए बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने लालू प्रसाद यादव पर तगड़ा निशाना साधा है। जातीय जनगणना को लेकर लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट पर पलटवार करते हुए दिलीप जायसवाल ने कहा कि लालू प्रसाद की याददाश्त शायद कमजोर हो गई है। बिहार में यह काम नीतीश कुमार के नेतृत्व में किया जा चुका है।
दिलीप जायसवाल ने कहा कि संभवत लालू प्रसाद भूलने की बीमारी से भी इन दिनों लड़ रहे हैं। तेजस्वी यादव की यात्रा पर जाने के सवाल पर जवाब देते हुए डॉक्टर दिलीप जायसवाल ने कहा कि तेजस्वी यादव को यह बताना चाहिए कि उनके पिता के कार्यकाल में क्या-क्या हुआ? उस दौरान किन-किन यात्राओं पर उनके दल के लोग निकला करते थे। दिलीप जायसवाल ने कहा कि तेजस्वी यादव के पिता बिहार में अपराधी घटनाओं के जनक के तौर पर जाने जाते रहे हैं। तेजस्वी को क्षमा यात्रा पर निकलने की जरूरत है।
बिहार में बीजेपी के सदस्यता अभियान की हुई शुरुआत… दिलीप जायसवाल खुद मिस्ड कॉल कर पार्टी के सदस्य बने
वहीं डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने लालू प्रसाद यादव को निशाने पर लिया। सिन्हा ने राजद को चुनौती देते हुए कहा कि है लालू प्रसाद में हिम्मत तो वो यह घोषित करें कि जो यादव समाज का पढ़ा-लिखा और काबिल आदमी होगा हम उसको राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाएंगे। उसको प्रदेश अध्यक्ष बनाएंगे और अगला मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार से नहीं बनेगा। वो यह घोषणा करें तब ही सच्चा सामाजिक न्याय होगा।
डिप्टी सीएम ने कहा कि लालू यादव ने बिहारी शब्द को बदनाम, कलंकित और गाली बनाकर बिहार को जो उपहार दिया है वह उपहार हम आने वाली पीढ़ी को नहीं देंगे। विजय ने कहा कि लालू यादव अपने परिवार की जमींदारी बढ़ाना चाहते हैं। हम उनकी जाति में भी जाकर सदस्य बनाएंगे और उस समाज के प्रतिभावान को आगे बढ़ाएंगे। हम बिहार की प्रतिभा और मान-सम्मान को बढ़ाएंगे।
क्या लिखा था लालू ने
लालू यादब ने एक्स पर पोस्ट लिखा था- इन RSS/BJP वाला का कान पकड़, दंड बैठक करा इनसे जातिगत जनगणना कराएंगे. इनका क्या औक़ात है जो ये जातिगत जनगणना नहीं करायेंगे? इनको इतना मजबूर करेंगे कि इन्हें जातिगत जनगणना करना ही पड़ेगा. दलित, पिछड़ा, आदिवासी और गरीब का एकता दिखाने का समय अब आ चुका है।