राजद विधायक फतेह बहादुर सिंह के मां सरस्वती का अपमान करते हुए बयान दिया है। इस बयान पर पूर्व विधान पार्षद व वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. रणबीर नंदन ने कड़ा प्रतिकार किया है। विधायक फतेह बहादुर सिंह ने कहा था कि सरस्वती को ब्राह्मण ग्रंथों में ब्रह्मा की पुत्री बताया गया है और फिर ब्रह्मा ने उसी से शादी की। वो एक चरित्रहीन स्त्री है और पूजा चरित्रवान की होनी चाहिए चरित्रहीनों की नहीं। विधायक के बयान पर डॉ. रणबीर नंदन ने कहा है कि फतेह बहादुर हो या राजद की पूरी मंडली, न जाने कौन से ग्रंथों का पाठ किया है समझ नहीं आता। खुद तो ये लोग कुछ जानते नहीं हैं, फालतू का बकवास करते रहते हैं। इनके नेता लालू यादव तो हरिहरनाथ से लेकर देवघर, सिद्धी विनायक और तिरुपति बालाजी के दर्शन में घूमते हैं और अधकचरा ज्ञान वाले विधायकों को खुला छोड़ दिया है बिहार की जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करने को।
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डॉ. नंदन ने कहा कि लालू यादव को चाहिए कि अपने विधायकों को बांध कर रखें। धार्मिक टिप्पणी से पहले धार्मिक ग्रंथों में क्या लिखा है, यह किसी पढ़े-लिखे से जान लें। मां सरस्वती और परमपित ब्रह्मा के रिश्ते पर लांछन लगाने वाले को पहले दोनों के रिश्तों के बारे में जानना चाहिए। मां सरस्वती न तो परमपिता ब्रह्मा की पुत्री हैं और न ही उनकी पत्नी हैं। सरस्वती सिर्फ ब्रह्मा की सहचरी अर्थात् सहायक हैं। रही बात परमपिता ब्रह्मा के दूसरा विवाह रचाने की तो वो भी कोरा झूठ और अधकचरा ज्ञान है। परमपिता ब्रह्मा की अर्द्धांगिनी सावित्री हैं।
उन्होंने कहा कि ब्रह्मा ब्रह्मांड के निर्माण का अवतार हैं और सरस्वती इस ब्रह्मांड के ज्ञान का अवतार हैं जो सर्वोच्च चेतना की मर्दाना और स्त्री शक्तियां हैं। ठीक उसी तरह जैसे विष्णु और लक्ष्मी दुनिया को संरक्षित करने के लिए मर्दाना और स्त्री शक्तियां बनाते हैं, इसी तरह ब्रह्मा और सरस्वती सृजन के लिए मर्दाना और स्त्रैण शक्तियों का निर्माण करते हैं क्योंकि किसी भी चीज़ को बनाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है, आप ज्ञान के बिना एक वेबसाइट नहीं बना सकते, आप ज्ञान के बिना परमाणु बम नहीं बना सकते, उसी तरह ब्रह्मा को सृष्टि का विस्तार करने के लिए सरस्वती की आवश्यकता होती है। वे हमेशा एक साथ सह-अस्तित्व में रहते हैं और उनका अस्तित्व एक-दूसरे के बिना असंभव है और वे अविभाज्य हैं क्योंकि वे एक ही ब्रह्म (सर्वोच्च चेतना) का विस्तार हैं। ब्रह्मा और सरस्वती को मनुष्यों की तरह भौतिक रूपों की आवश्यकता नहीं है, वे हमेशा आध्यात्मिक रूप से सर्वोच्च चेतना से जुड़े रहते हैं। ब्रह्म, सर्वोच्च चेतना स्वयं इस भौतिकवादी दुनिया के निर्माण के दौरान कई देवताओं में विस्तारित हुई और सृजन (ब्रह्मा और सरस्वती), संतुलन बनाए रखने (विष्णु और लक्ष्मी) और विनाश (शिव और पार्वती) के लिए इसकी अपनी बुद्धि है। सभी 6 देवी-देवता अपने कार्य की प्रकृति के कारण डिफ़ॉल्ट रूप से एक साथ जुड़े हुए हैं। ब्रह्मा और सरस्वती ने मिलकर दक्ष, प्रजापतियों की रचना की और जिनसे सात ऋषियों का विकास हुआ और जिनसे मानव जाति का विकास हुआ।
डॉ. नंदन ने कहा कि राजद वालों को न राम भाते हैं न दूसरे भगवान। उन्हें तो भगवान राम से दिक्कत थी। हिंदू धर्म से दिक्कत है। लेकिन भगवान राम से राजद को दिक्कत हो या किसी और को, भगवान राम ने चाहा तो विश्व के करोड़ों हिंदुओं की इच्छा के अनुसार उनका मंदिर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों बन ही रहा है और भव्य-दिव्य बन रहा है।