पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट पर चुनाव छठे चरण में हुआ, जिसमें बीजेपी के राधा मोहन सिंह विजयी रहे। वहीं दूसरे नम्बर पर VIP के राजेश कुमार दूसरे नम्बर पर रहे। बिहार में 2008 के बाद लोकसभा चुनाव क्षेत्रों में कई बदलाव हुए। इसमें चंपारण क्षेत्र की तीनों सीटों के नाम और पहचान सबकुछ बदल गए। तभी अस्तित्व में आया पूर्वी चंपारण जहां पहला चुनाव 2009 में हुआ। इससे पहले यह सीट मोतिहारी के नाम से थी। 1989 में मोतिहारी सीट पर पहला चुनाव जीतने के बाद राधामोहन सिंह इस क्षेत्र में भाजपा की पहचान बन गए। 2009 में सीट की पहचान मोतिहारी से पूर्वी चंपारण हो गई लेकिन भाजपा के लिए राधामोहन सिंह ही चेहरा रहे। इस बार भी भाजपा ने उन्हीं पर भरोसा जताया है।
इस सीट पर हैट्रिक पूरी कर चुके राधामोहन सिंह को रोकने के लिए महागठबंधन में वीआईपी के डॉ. राजेश कुमार को मैदान में उतारा। जबकि अन्य 10 उम्मीदवारों में प्रबुद्ध रिपब्लिकन पार्टी की ज्ञानती देवी, वीरों के वीर पार्टी से नवल किशोर प्रसाद, भारतीय सार्थक पार्टी से पवन कुमार, राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी से विजय कुमार सहनी उम्मीदवार हैं। जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों में निकेश कुमार, मुनेश्वर तिवारी, मोहम्मद अजमेर आलम, राजेश कुमार, राजेश कुमार साह और राजेश सिंह उम्मीदवार थे। इस सीट के उम्मीदवारों में चार उम्मीदवारों का नाम राजेश ही था।
पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट के अस्तित्व में आने के ठीक पहले हुए 2004 के चुनाव में मोतिहारी सीट पर राधामोहन सिंह को राजद के टिकट पर चुनाव लड़े अखिलेश प्रसाद सिंह ने हरा दिया था। लेकिन 2009 में अखिलेश प्रसाद सिंह अपनी जीत कायम नहीं रख पाए। अखिलेश प्रसाद सिंह तब राजद के टिकट पर लड़े थे और राधामोहन सिंह ने उन्हें 79,290 वोटों से हराया। यही नहीं अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश प्रसाद सिंह ने 2019 में रालोसपा के टिकट पर राधामोहन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा। लेकिन 2,93,648 वोटों से जीत राधामोहन सिंह के खाते में आई। जबकि 2014 में राधामोहन सिंह ने राजद के उम्मीदवार बिनोद कुमार श्रीवास्तव को 1,92,163 वोटों से हराया था। इस क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों में से पांच पर एनडीए का कब्जा है जबकि एक सीट पर राजद के विधायक हैं।