बिहार में बीपीएससी से प्रथम चरण में अनुशंसित शिक्षक अभ्यर्थियों से जुड़ा मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। एक मामला निबट रहा है, तो दूसरा सामने आ जा रहा है। विभाग भी इन समस्याओं से हलकान है और अब कई समस्याओं के निदान के लिए एक स्थायी हल निकाला है। यानी सेवा से मुक्त करने का।
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माध्यमिक शिक्षा निदेशक का निर्देश
माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने गत दिन पत्र भेज डीईओ को कहा कि जो शिक्षक अभ्यर्थी तदर्थ नियुक्ति पत्र लेकर नदारद हैं, उनपर तुरंत कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि ऐसे शिक्षकों की नौकरी समाप्त कर दी जाए। इसके अलावा, जो शिक्षक नियुक्ति-पत्र तो लिए, पर डीईओ कार्यालय में योगदान ही नहीं कर सके, उनके खिलाफ भी कड़ा एक्शन लिया जाए। ऐसे शिक्षकों को निलंबित कर दो माह में विभागीय कार्यवाही पूरी कर सेवा से बर्खास्त किया जाए।
डीईओ का पत्र
उक्त निर्देश के आलोक में सीतामढ़ी के डीईओ प्रमोद कुमार साहू ने विज्ञापन प्रकाशित करने को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को पत्र भेजा है। विज्ञापन में इन शिक्षकों को तीन दिन के अंदर योगदान नहीं करने पर सेवा समाप्त करने की चेतावनी दी गई है।
स्थानीय शिक्षा विभाग को 82 शिक्षकों का इंतजार है। ये सभी शिक्षक अभ्यर्थी उसी श्रेणी के हैं। यानी अपना योगदान नहीं दे सके हैं। इनमें से 44 ऐसे शिक्षक हैं, जो नियुक्ति पत्र और स्कूल पदस्थापन पत्र लेकर स्कूल में योगदान नहीं कर सके हैं। वहीं, 38 ऐसे शिक्षक हैं, जो स्कूल पदस्थापन पत्र प्राप्त नहीं कर सके हैं। ध्यान रहे कि प्रथम चरण में जिले में 1644 शिक्षकों को नियुक्ति-पत्र मिला था।
एक नजर में
- बिहार में बीपीएससी शिक्षक भर्ती घोटाले में सीतामढ़ी के 82 शिक्षकों को सेवा से मुक्त करने की चेतावनी दी गई है।
- इन शिक्षकों को तीन दिन के अंदर योगदान नहीं करने पर सेवा समाप्त कर दी जाएगी।
- इन शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग ने एक विज्ञापन प्रकाशित करने का फैसला किया है।
- इनमें से 44 ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने नियुक्ति-पत्र और स्कूल पदस्थापन पत्र लेकर स्कूल में योगदान नहीं कर सके हैं।
- वहीं, 38 ऐसे शिक्षक हैं, जो स्कूल पदस्थापन पत्र प्राप्त नहीं कर सके हैं