बिहार विधानसभा में आज गुरुवार 25 जुलाई को उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने 31 मार्च 2023 समाप्त हुए वर्ष का कैग रिपोर्ट पेश किया। कैग ने अपनी रिपोर्ट में बिहार का राजकोषीय घाटा दिखाया है। अधिकारियों की लापरवाही से 44 हजार 823 करोड़ का राजकोषीय घाटा हुआ है। 2018- 19 में 13806.76 करोड़ था जो जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) का 2.62% है 2022-23 में बढ़कर 44823.30 करोड़ और जीएसडीपी का 5.97% हो गया इसका जिक्र किया है। कैग ने 31 मार्च 2023 तक 87947.8 करोड़ के 41755 उपयोगिता प्रमाण नहीं मिलने की बात भी कही है।
महालेखा परीक्षक ने रिपोर्ट में यह भी कहा है 31 मार्च 2023 तक 7489.05 करोड़ के 27392 एसी बिल डीसी बिल जमा करने के लिए लंबित है। जिसमें से 6450.17 करोड़ के 26574 एसी बिल 2021-22 के अवधि से संबंधित है। कैग ने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि मार्च 2022 तक 55840.32 करोड़ राजस्व संग्रहण होना था, लेकिन केवल 38838.88 करोड़ राजस्व का ही संग्रहण हुआ।
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लेखा परीक्षा में 1059 मामलों में कुल 25001 करोड़ के राजस्व की हानि का पता लगाया है। संबंधित विभागों ने 336 मामलों में 28.80 करोड़ के त्रुटियों को स्वीकार किया है। महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में अनियमितता की ओर इशारा किया है। कैग ने अक्टूबर 2020 से जून 2022 के दौरान निष्पादित 8 दस्तावेजों में भूमि के अल्प मूल्यांकन का पता लगाने में विफल रहने की बात कही है, जिसके फलस्वरुप 1.25 करोड़ के मुद्रांक शुल्क और निबंधित फीस की कम वसूली हुई।