बिहार में जातीय गणना का काम पूरा हो गया और किस जाति के कितने लोग बिहार में रहते हैं, इसकी रिपोर्ट बिहार सरकार ने जारी कर दी। सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इसको लेकर उत्साहित हैं और इन आंकड़ों के आधार पर आगे की योजनाएं बनाने का आश्वासन दे रहे हैं। वैसे इस गणना में सिर्फ यह नहीं पूछा गया था कि कौन किस जाति का है। अन्य दो दर्जन से अधिक बिंदुओं पर यह गणना हुई थी। लेकिन अन्य प्वाइंट्स की रिपोर्ट अभी राज्य सरकार के पास गोपनीय है। जरुरत के हिसाब से बिहार सरकार ने जातीय आंकड़े जारी कर दिए। लेकिन इन आंकड़ों पर भी कुछ लोगों को आपत्ति है। हालांकि बिहार सरकार ने आंकड़ों पर आपत्ति के निवारण की कोई योजना नहीं बनाई है। आपत्ति उठाने वालों को जवाब दिया गया है कि दिक्कत है तो पीएम नरेंद्र मोदी से कहकर पूरे देश में जातीय गणना करा दें।
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कुशवाहा, रविशंकर के बाद प्रगति की आपत्ति
सबसे पहले इस पर सवाल उठाया उपेंद्र कुशवाहा ने। उन्होंने कहा कि उनके परिवार की गणना ही नहीं हुई है। हालांकि उनका जवाब देने के चक्कर में जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने उन आंकड़ों को भी सार्वजनिक कर दिया, जो गोपनीय बताए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 20 से अधिक लोगों के निजी आंकड़ों को सार्वजनिक करने का आरोप नीरज कुमार पर हैं। आरोप यह भी लगे कि आखिर जदयू प्रवक्ता के पास आंकड़े कैसे पहुंचे? हालांकि नीरज कुमार का कहना है कि सबकुछ पब्लिक डोमेन में है। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और पटना साहिब से लोकसभा सांसद रविशंकर प्रसाद ने भी अपनी गणना नहीं होने का आरोप लगाया है। तो दूसरी ओर जदयू महासचिव प्रगति मेहता का आरोप है कि उनकी जाति धानुक की संख्या कम बताई गई है। इसको लेकर प्रगति मेहता ने सीएम नीतीश को पत्र भी लिखा है।
तेजस्वी ने दिया जवाब, मोदी से करा लें गणना
रिपोर्ट पर आपत्ति जता रहे लोगों को दो टूक जवाब देते हुए डिप्टी सीएम ने कहा है कि जातीय गणना हो गई है। कुछ लोग आपत्ति पेश कर रहे हैं। लेकिन जिनको भरोसा नहीं हो रहा है, तो वे मोदी जी को बोलें कि भारत सरकार करा दे। तेजस्वी ने आगे कहा कि जो लोग आपत्ति पेश कर रहे हैं, उनसे कहिएगा कि प्रधानमंत्री जी से मिल कर कहिए कि करा दें जाति जनगणना। जो लोग करा रहे हैं, उन पर आपत्ति जता रहे हैं और जो नहीं करा रहे हैं तो वाह-वाह कर रहे हैं। हम लोगों ने कर के दिखाया है तो आपत्ति हो रही है।