केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए नामांकित किए जाने के बावजूद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक अपनी मनमानी और नाफ़रमानी से पीछे नहीं हट रहे। अब एक नया विवादास्पद मामला सामने आ रहा है, जहाँ एक-एक कर बिहार के उन सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति और प्रतिकुलपति पर प्राथमिकी दर्ज कराई जा रही है।
दरअसल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में भेजे जाने के लिए नाम आने से पूर्व केके पाठक ने बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व प्रतिकुलपतियों के साथ एक मीटिंग शेड्यूल कर रखा था, लेकिन राजभवन से आदेश न मिल पाने के कारण उक्त लोग ‘एसीएस’ की बैठक में शामिल नहीं हो पाए। तिलमिलाए केके पाठक ने इसे उनकी नाफ़रमानी मानकर पहले तो उनके वेतन रोके। इस घटना के बाद ही उनकी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का लेटर भी जारी हो गया।
हालांकि मनमौजी आईएएस को इससे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। जाते जाते उन्होंने कुलपतियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का बाण चला ही दिया है। इस कड़ी में मगध विश्वविद्यालय बोधगया का नाम भी जुड़ चुका है। आरोप है कि यह भी केके पाठक की ओर से बुलाई गई बैठक में 28 फरवरी को शामिल नहीं हुए थे। अब इस एफ़आईआर को लेकर आगे क्या कदम उठाये जाते हैं,ये देखने की बात होगी।