करीब एक दशक से ठप पड़े छितौनी-तमकुही रेल परियोजना के दिन एक बार फिर से बहुरने की उम्मीद जगी है। हजारों लोगों के प्रदर्शन व पुरानी मांग को देखते हुए केंद्रीय कोयला,खनन राज्य मंत्री सतीशचंद्र दुबे ने रेल मंत्री अश्विन वैष्णव को पत्र सौंप बंद पड़ी इस रेल परियोजना को फिर शुरू करवाने की मांग की है। जानकारी के अनुसार रेल मंत्री के द्वारा केंद्रीय राज्यमंत्री सतीश चन्द्र दुबे को सकारात्मक आश्वासन दिया गया है। जिससे लोगों में इस परियोजना को लेकर एक बार फिर से आस जग गई है।
बताते चलें कि वर्ष 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री के द्वारा छितौनी तमकुही रेल लाइन का शिलान्यास किया गया था। यह रेल लाइन पनियहवा से छितौनी होते हुए नारायणी नदी के किनारे होते हुए मधुबनी, धनहा, खैरा टोला इत्यादि स्थानों से होकर गुजरेगी तथा कुशीनगर के तमकुहीरोड रेलवे स्टेशन पर कप्तानगंज-थावे रेल लाइन में मिल जाएगी।
पप्पू यादव जी बैठ जाइये, नहीं तो लोग कहेंगे बिहार को ज्यादा दे दिये… ओम बिरला ने विपक्ष पर कसा तंज
इस परियोजना में 37.7 लाख घन मीटर मिट्टी के कार्य के साथ साथ 10 बड़े पुलों एवं 47 छोटे पुलों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित था। परियोजना में पनियहवा से 3.35 किमी पर छितौनी, 15.5 किमी पर जटहां, 28.7 किमी पर मधुबनी 35 किमी पर धनहा, 38 किमी पर खैरा टोला व 49.7 किमी पर पिपरासी स्टेशन व हाल्ट का निर्माण की रूपरेखा बनाने के साथ ही 62.5 किमी पर अंतिम तमकुही रोड स्टेशन को जंक्शन बनाया जाना प्रस्तावित था।
इस रेल लाइन के निर्माण से नारायणी नदी के दक्षिण स्थित बिहार के निवासियों के लिए बड़ी राहत होगी। उन्हें एक तरफ जहां आवागमन की अच्छी सुविधा सुलभ हो जाएगी। वहीं दूसरी ओर साल दर साल आने वाली बाढ़ से बचाव हेतु यह रेल लाइन एक मजबूत बांध के रूप में भी काम करेगा। साथ ही यहां पर्यटन, रोजगार और व्यापार की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।