लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान खत्म हो गया है लेकिन जमुई में तेजस्वी की सभा से उठी एक चिंगारी से लगी आग बुझने का नाम नहीं ले रही है। पक्ष-विपक्ष लगातार एक दूसरे पर हमलावर है। वहीं, चिराग इस मामले में लगातार लोजपा(रा) के अध्यक्ष चिराग पासवान कार्रवाई की मांग कर रहे है। चिराग ने तेजस्वी को पत्र लिखकर इस मामले में कार्रवाई की मांग की है। लेकिन दोषी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, इस मामले को लेकर राजद की ओर से कहा गया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी जिसके बाद आज चिराग ने अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया।
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‘न भाई ने कार्रवाई की न मीसा ने‘
दरअसल, तेजस्वी के सभा के दौरान राजद समर्थक ने चिराग की मां के लिए अपशब्द बोले थे। जिसका वीडियो सामने आने के बाद मामला बढ़ने लगा। राजद और चिराग की ओर से वार-पलटवार हुए। हालांकि इस मामले में आरोपी व्यक्ति पर अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है। इसको लेकर चिराग ने एकबार प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इस दौरान चिराग ने कहा कि इस मामले में ना भाई ने कार्रवाई की, ना दीदी ने विरोध किया। जिसका मुझे दुख रहेगा। चिराग ने इस मामले में लालू परिवार को निशाने पर लेते हुए कहा कि मेरी लिखी हुई चिट्ठी का न कोई जवाब आया है, और न ही मेरे छोटे भाई ने कोई कार्रवाई की है, बड़ी दीदी मीसा भारती से उम्मीद थी लेकिन उन्होंने भी ऐसे तत्वों को प्रोत्साहित किया।
राजद का कल्चर है गाली देना
चिराग पासवान ने आगे कहा कि मैं तेजस्वी यादव से पूछना चाहता हूं कि आप कैसे नेता हैं जो आपको जानकारी नहीं हुई कि आपके मंच पर क्या हो रहा है। इसको लेकर मीसा दी और उनकी पार्टी के नेता के साथ ही तेजस्वी यादव जो बातें कह रहे हैं वह कहीं से भी उचित नहीं है। आज भी मैं राबड़ी देवी जी को अपनी मां मानता हूं और तेजस्वी यादव मेरे छोटे भाई है। इसके बाबजूद इस तरह की बात कहना उचित नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि 1980 में जन्म लिया हुआ कोई भी इंसान यह नहीं भूल सकता है कि 1990 के दशक में कैसे लोगों को गालियां दी जाती थी। यह राष्ट्रीय जनता दल का कल्चर है। ये लोग आज मेरी मां को गाली दे रहे हैं। कल यही हाल रहा तो गांव की महिला, बहन, बेटी को इनके कार्यकर्ता भी गाली देना शुरू कर देंगे। यह कहीं से भी अच्छी बात नहीं है। बिहार की जनता को अब इसपर विचार करना होगा। उन्हें जंगलराज को याद करना होगा। उन्हें समझना होगा कि आखिर बिहार से लोग उस समय क्यों पलायन करने पर मजबूर थे। इसके बाद भी यदि राजद के नेतृत्व वाली पार्टी या उनके गठबंधन वाले कोई नेता यदि चुनाव जीतकर जाते हैं तो वहां मां, बहन, बेटी और गरीब परिवार के लोगों का रहना मुश्किल हो जायेगा।
दलित विरोधी है राजद की सोच
चिराग ने तेजस्वी के विजन को लेकर भी सवाल उठाते हुए कहा कि ये लोग बिहार के विकास की बात करते हैं। लेकिन क्या गरीबों और दलितों को डराकर विकास किया जा सकता है ? राजद के लोगों की सोच ही दलित विरोधी है। आज के समय में किसी भी सभ्य समाज के लोग इनके साथ नही हैं। इसी व्यवहार के कारण मुस्लिम और यादव समाज के लोग भी इनसे अब दूर होने लगे हैं। ये लोग बस अपने घर परिवार को ही प्राथमिकता देते हैं।