बिहार चाचा-भतीजा वाली राजनीति में खुब चलती है। एक ओर नीतीश-तेजस्वी के चाचा भतीजा वाली जोड़ी हैं जो फिलहाल बिहार की सत्ता पर काबिज है। वहीं दूसरी ओर पशुपति परास और चिराग पासवान वाली की चाचा-भतीजा वाली जोड़ी है। जिसमें तकरार की बातें जगजाहिर है। लोक जनशक्ति पार्टी के दो गुटों में बटने के बाद से ही दोनों एक दूसरे के कट्टर विरोधी बने हुए हैं। दोनों में लोक जनशक्ति पार्टी की दावेदारी को लेकर लेकर लड़ाई शुरू हुई थी। जो लड़ाई राज्य निर्वाचन आयोग तक पहुँच गई। निर्वाचन आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह बांग्ला छाप को 2 अक्टूबर 2021 को सीज कर दिया था। लेकिन अब निर्वाचन आयोग ने ही कुछ ऐसा कर दिया है जिससे इस बात को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं कि चाचा पशुपति पारस और भतीजा चिराग पासवान साथ आ गए हैं।
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सीज चुनाव चिन्ह यूपी में बहाल?
लोक जनशक्ति पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह को सीज तो कर दिया गया। जिसके बाद पार्टी दो गुटों में बाँट गई। पारस वाले गुट का नाम राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का नाम मिला और चुनाव चिन्ह के रूप में सिलाई मशीन आवंटित किया गया। वही चिराग वाले गुट को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का नाम मिला और चुनाव चिन्ह हेलिकॉप्टर छाप मिला। जिसके बाद से दोनों के बीच दूरियां और बढ़ती चली गई। हाल ही में यूपी राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से मान्यता प्राप्त पार्टियों की लिस्ट जारी की गई है। जिसमें लोक जनशक्ति पार्टी का बन भी नाम शामिल है।
साथ ही में चुनाव चिन्ह के रूप में बांग्ला चाप को ही शामिल किया गया है। जिसके बाद से ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि बिहार में एक-दूसरे से टकरार रखने वाले चाचा -भतीजा यूपी में एक साथ तो नहीं ना आ गए? कहीं दोनों की पार्टी के विलय तो नहीं ना होने वाला है? फिलाहल मसला काया है ये तो यूपी राज्य निर्वाचन आयोग ही साफ कर सकता है। तभी इस बात की जानकारी मिलेगी की ये आयोग की भूल है या फिर जैसी आशंका लगाई जा रही है वो सही है।
चाचा-भतीजा के बीच सूत्रधार बन सकती है BJP
बीजेपी के प्रति चिराग पासवान शुरू से नर्म रुख रखते आए हैं। हालाकिं वो अपने चाचा पशुपति पारस की तरह NDA का हिस्सा नहीं है फिर भी BJP से उनकी नजदीकियां पिछले कुछ समय से ज्यादा बढ़ी है। जिसके बाद से उनके NDA में शामिल होने की ख़बरों ने तूल पकड़ा हुआ है। NDA में चिराग के ना होने सबसे बड़ा कारण पशुपति पारस ही हैं। लेकिन पिछले दिनों पशुपति पारस भी ये कह चुके हैं कि यदि चिराग NDA में शामिल होते हैं तो वो उनका स्वागत करेंगे। जानकर मानते हैं कि दोनों के बीच एकता के लिए बीजेपी ही सूत्रधार का काम कर सकती है। चुनाव चिन्ह वाला मामला सामने आने के बाद दोनों की पार्टी के विलय को लेकर भी चर्चाएं गरमाई हुई है। लोग इसके पीछे बीजेपी का हाथ होने की बात कह रहे हैं।