केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने SC-ST में क्रीमी लेयर के बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट की जो ऑब्जरवेशन है उस पर हमारी भी असहमति है और इस असहमति को हमने प्रमुखता से दर्ज किया है। इस बात से हम स्पष्ट हैं कि अनुसूचित जाति का आधार छुआछूत है। इसका शैक्षणिक या आर्थिक आधार नहीं है। ऐसे में इसमें क्रिमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि आज भी उदाहरण एक दलित युवक का दिया जाता है जिसे घोड़ी चढ़ने से रोका जाता है। कई ऐसे बड़े नाम हैं, जो बड़े पदों पर हैं लेकिन उनके भी मंदिर में जाने के बाद मंदिर को गंगा जल धुलवाया जाता है। उन्होंने कहा कि जब भेदभाव छुआछुत के आधार पर हो रहा है। ये भेदभाव कहीं शिक्षा के आधार पर नहीं हो रहा है। ये भेदभाव कहीं आर्थिक दृष्टि से नहीं हो रहा है कि भाई आप आर्थिक तौर पर सक्षम हो गए तो अब कहीं भेदभाव नहीं होगा।
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ऐसे उदाहरण आज की तारीख में भी देखने को मिलते हैं। जब ये उदाहरण हैं तो ये दर्शाते हैं कि ये जो भेदभाव हो रहा है ये आपकी आर्थिक दृष्टि पर नहीं हो रहा है या आप कितने कामयाब हो गए हैं अपने क्षेत्र में उसको लेकर नहीं हो रहा है। ये इसलिए हो रहा है कि आज भी छुआछूत को मानने वाले लोग हैं। हम यानि लोजपा (रामविलास) इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दाखिल करने वाले हैं।
वहीं जाति जनगणना की मांग को लेकर चिराग पासवान ने कहा कि मुझे लगता है कि हमें जाति जनगणना करानी चाहिए। हम इसके समर्थन में हैं। लेकिन मेरा मानना है कि इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। एकत्रित आंकड़ों का इस्तेमाल सरकार को नीतियां बनाने में करना चाहिए। चिराग पासवान ने कहा कि वो जातीय जनगणना के पक्षधर सिर्फ इसलिए हैं ताकि उस आधार पर सब की बेहतरी के लिए नीतियां बन सके। इसलिए नहीं कि आरक्षण के भीतर आरक्षण हो।