दिवंगत नेता रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत के लिए लड़ाई नई बात नहीं है। चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच की इस लड़ाई का ही नतीजा है कि आज लोजपा दो टुकड़ों पर बंट गई है। पशुपति पारस की पार्टी रालोजापा और चिराग की पार्टी लोजपा(रामविलास) आज एक दूसरे की घोर विरोधी बनी हुई है। शुरूआती खींचतान में तो चाचा पशुपति पारस, चिराग को पटखनी देने में कामयाब रहे। चिराग को छोड़ कर लोजपा के सभी सांसदों को अपने पाले में लाकर एनडीए में शामिल हो गए। लेकिन अब चिराग पासवान , चाचा पशुपति पारस के संसदीय क्षेत्र में घुस कर उन्हें ललकारने की तैयारी में है। इतना ही नहीं उनकी पार्टी कई और सीट पर दावा ठोक रही है।
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हाजीपुर बनेगा रणक्षेत्र
राजनीतिक विरासत की लड़ाई में अभी तो पशुपति पारस का पलड़ा भले ही अभी भारी हो। लेकिन अब लड़ाई आमने-सामने की हो सकती है। लोजपा(रामविलास) के प्रदेश अध्यक्ष राजीव तिवारी का कहना है कि अगले चुनाव में चिराग पासवान हाजीपुर से ही लड़ेंगे। बता दें कि फिलहाल चिराग जमुई से सासंद हैं। वही हाजीपुर से उनके चाचा पशुपति पारस सांसद हैं। हाजीपुर वही सीट है जिससे कई बार जीतकर दिवंगत नेता रामविलास पासवान संसद पहुंचे थे। पिता की सीट होने के कारण चिराग का इससे एक इमोशनल कनेक्शन भी है। हालांकि रामविलास पासवान ने अपने जीते जी ये सीट अपने भाई पशुपति पारस को सौंपी थी। लेकिन अब इस सीट से खुद चिराग जीतना चाहते हैं। अभी जैसी स्थिति बनी रही तो चुनावी लड़ाई में चाचा-भतीजा आमने-सामने होंगे।
नवादा सीट पर भी ठोकेंगे दावा
हाजीपुर के साथ ही पारस की पार्टी की एक और सीट पर चिराग की नजर है। वो सीट नवादा की है। जहां से अभी रालोजापा के नेता चंदन सिंह सांसद हैं। लोजपा रामविलास के प्रदेश अध्यक्ष राजीव तिवारी ने ऐलान कर दिया है कि नवादा से भी उनकी पार्टी चुनाव लड़ेगी। उनका कहना है कि नवादा सीट हमारी और लोजपा में टूट के पहले यह पार्टी की सीटिंग सीट रही है। वही उन्होंने ये भी बताया कि चिराग पासवान 8 जुलाई को नवादा के गांधी मैदान में एक बड़ी रैली करने जा रहे हैं।
चाचा-भतीजे की लड़ाई BJP के लिए टेंशन
चिराग और पारस के बीच की लड़ाई ऐसे चलती रही तो ये भाजपा के लिए बड़ी टेंशन की वजह बन जाएगी। पारस की पार्टी फिलहाल एनडीए का हिस्सा है। जबकि चिराग और भाजपा की नजदीकियां भी कम नहीं है लेकिन उनकी पार्टी एनडीए का हिस्सा नहीं है। भाजपा की पूरी कोशिश है कि चिराग की पार्टी भी एनडीए का शामिल हो जाए। खबर तो ऐसी है कि जल्द ही ऐसा हो भी जाएगा और चिराग पासवान को मोदी कैबिनेट में जगह भी मिल जाएगी। बड़ा सवाल यही है कि यदि चाचा पशुपति पारस से इसी तरह की अदावत चिराग की चलती रही तो दोनों एकसाथ एनडीए में कैसे एडजस्ट करेंगे। अगर भाजपा दोनों के एक करने में सफल हो जाती है तो ठीक है वरना उसे किसी एक का साथ ही संतोष करना पड़ेगा।