हाजीपुर लोकसभा सीट से लोजपा रामविलास के चिराग पासवान ने जीत दर्ज कर ली है। वहीं दूसरे नंबर पर राजद के शिवचंद्र राम रहे। हाजीपुर सीट के लिए पांचवें चरण में 20 मई को मतदान हुआ था।हाजीपुर लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला रामविलास पासवान के बेटे व लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान और राजद के शिवचंद्र राम में था। पिछली बार उनके चाचा पशुपतिनाथ पारस जीते थे। इस बार चिराग यहां से लड़ना चाहते थे, इस पर काफी विवाद भी हुआ।
पशुपति ने एनडीए छोड़ा, फिर मान भी गए। चिराग ने एनडीए से लोजपा के लिए इस सीट को खासतौर पर मांगा था। उन्हें बिहार में पांच सीटें मिलीं। चिराग ने साफ कर दिया था कि वे पिता की सीट से ही लड़ना चाहते थे। वहीं, राजद के शिवचंद्र हाजीपुर से कई बार लड़ चुके हैं। स्थानीय हैं। दो बार राजद से विधायक और मंत्री रहे हैं।
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बीते चार दशक तक यहां की राजनीति रामविलास पासवान के इर्द-गिर्द ही घूमती रही। वे आठ बार यहां से जीते। यही नहीं, सर्वाधिक मतों से जीतने का रिकॉर्ड भी बनाया। 1977 से पहले हाजीपुर सीट की चर्चा तक नहीं होती थी, मगर इसी साल कांग्रेस विरोधी लहर पर सवार पासवान ने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के बालेश्वर राम को सवा चार लाख वोट से हराया था। यह जीत गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुई और चर्चा का विषय बन गई।
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अन्य सीटों की तरह हाजीपुर भी कभी कांग्रेस और समाजवादियों का गढ़ था। यहां से 1957 और 62 में कांग्रेस के राजेश्वर पटेल जीते। 67 में कांग्रेस के वाल्मीकि चौधरी, 71 में दिग्विजय सिंह जीते। इसके बाद माहौल बदला और 77 और 80 में पासवान जनता पार्टी के टिकट पर जीते। 84 में कांग्रेस लहर में रामरतन जीते, तो 89 के चुनाव में पासवान फिर जीते। 91 में जनता दल से राम सुंदर दास जीते। इसके बाद लगातार चार बार 96,98, 99 और 2004 में अलग-अलग दलों से पासवान जीते। 2009 में जद-यू के राम सुंदर दास जीते तो 2014 में पासवान लोजपा से जीते। 2019 में उनके भाई पशुपति यहां से जीते।