मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव 2 दिनों से बिहार के गया में थे। इस दौरान गुरुवार को बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर उन्होंने पत्नी सीमा यादव और अन्य स्वजन के साथ बोधगया मठ में स्थित अपनी कुल देवी मां वराह की पूजा अर्चना की।
इस वक्त एक तथ्य सामने आया। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के पहले ही उन्होंने यहां सपत्निक पूजा कर संकल्प लिया था। संकल्प पूर्ण करने के उद्देश्य से ही वे बुद्ध पूर्णिमा की पूर्व शाम बुधवार को उज्जैन से हेलीकाप्टर से यहां पहुंचे थे। मठ के महंत त्रिवेणी गिरी की उपस्थिति में 11 आचार्यों ने उन्हें सपत्निक पूजा कराई। उन्हें महंत ने बोधगया मठ के इतिहास से अवगत कराया।
मठ परिसर में स्थापित वराह देवी की प्रतिमा छठी शताब्दी की है। मुख्यमंत्री ने गया के विष्णुपद मंदिर व मंगलागौरी मंदिर में भी दर्शन-पूजन किया। मां वराह की पूजा में मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित एमपी की सबसे बड़ी गोशाला कृष्णायन देसी गोरक्षाशाला के संचालक स्वामी अच्युतानन्द एवं स्वामी कमलानंद भी साथ थे। दोनों ने जीर्णोद्धार के बाद बोधगया मठ की प्राचीन अतिथिशाला का फीता खोल कर उद्घाटन किया।
मठ के संन्यासी स्वामी विवेकानंद गिरी ने बताया कि अतिथिशाला वर्ष 1811 में बनवाई गई थी। इसमें स्वामी विवेकानंद, रविंद्र नाथ टैगोर आदि विभूतियों ने भी विश्राम किया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि बोधगया मठ में आने का कारण व्यक्तिगत, धार्मिक तथा आध्यात्मिक है। इससे मुझे तथा मेरे परिवार को ऊर्जा मिली है। उन्होंने बोधगया मठ के साधुओं को वचन दिया कि यहां के विकास के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे और भविष्य में भी अपनी कुल देवी के दर्शन करने आते रहेंगे।