शराबबंदी कानून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मानते हैं। लेकिन इस कानून के लागू होने के बाद से जहरीली शराब से होने वाले मौतों को लेकर वो हमेशा ही घिर जाते हैं। पिछले साल सारण में बड़ा शराबकांड हुआ था। जिसमें जहरीली शराब से कई लोगों की मौत हो गई थी। उस समय इस मुद्दे पर खुब सियासी हलचल भी देखने को मिला था। विपक्ष लगातार मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग कर रहा था।
लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन के अंदर ये बात कही थी कि ‘जो पिएगा वो मरेगा’ साथ ही मुआवजा देने से इनकार कर दिया था। अब मोतिहारी में भी जहरीली शराब से कई लोगों की मौत हुई है। मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैकफुट पर दिख रहे हैं। उन्होंने 2016 के बाद जहरीली शराब से मरने वालों के परिजनों को मुआवजा देने का ऐलान किया है।
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मृतकों के परिजनों को 4 लाख का मुआवजा
दरअसल आज जब मोतिहारी में हुए शराबकांड पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल किया गया तो उनके सुर बदले-बदले नजर आए। उन्होंने कहा कि शराबबंदी को बिहार में 2016 में लागू किया गया और सभी पार्टियों की सहमति के साथ लागू हुआ। बहुत अच्छे ढंग से इसके लिए अभियान चलाया गया। महिलाओं ने 2015 में शराबबंदी की मांग की थी जिसके बाद ये फैसला लिया गया था। जहरीली शराब से मौत होना दुखद है। इसके बाद उन्होंने ऐलान किया कि उन्होंने कहा कि 2016 के बाद से जो भी लोग जहरीली शराब से मरे हैं उनके परिजन लिखित तौर पर तौर पर डीएम के यहां लेटर भेज देंगे तो उन्हें मुआवजा जरुर मिलेगा। उन्हें सीएम रिलीफ फंड की तरफ से 4 लाख रुपये दिए जाएंगे।