बिहार में शराबबंदी को छह साल बीत चुके हैं। तब से अब तक में राज्य के मुख्यमंत्री तो नीतीश कुमार ही हैं लेकिन साझीदार दो बार बदल चुके हैं। अभी एक बार फिर वही गठबंधन सत्ता में है, जिसने शराबबंदी लागू की थी। लेकिन इस बीच कई ऐसे मौके आए हैं, जब शराबबंदी कानून पर ही सवाल उठने लगे। सीएम कहते रहे कि इस कानून में कोई समझौता हो ही नहीं सकता। लेकिन कुछ लोगों को इस बात का भरोसा कम हो रहा है। बीते कुछ महीनों में जहरीली शराब ने कानून को अलग से दबाव में ले रखा है। तो इस बीच नीतीश कुमार की शराबबंदी को चाणक्य का सहारा मिल गया है। यानि बात चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के एक सर्वे रिपोर्ट की हो रही है, जो शराबबंदी के कई पहलुओं पर नीतीश कुमार को क्रेडिट दे रही है।
छेड़खानी-घरेलू हिंसा में कमी
रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं को शराबबंदी का पूरा समर्थन है। इसका कारण यह है कि शराबबंदी होने के बाद स्वास्थ्य में सुधार आया है। घरेलू हिंसा में कमी आई है। साथ ही छेड़खानी की घटनाओं में कमी आई है। सर्वे में 87 प्रतिशत लोगों का कहना है कि शराबबंदी से औसत घरेलू आय में वृद्धि हुई है। आय में वृद्धि होने पर बच्चों की शिक्षा पर लोग खर्च कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि शराबबंदी से आमदनी बढ़ी है। 65 फीसदी लोगों का मानना है कि आदतन शराब पीने वालों के स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार हुआ है। 74.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा है कि शराब पीने वाले अब अपने परिवार को समय देते हैं। शराबबंदी से सड़क सुरक्षा में वृद्धि हुई है। सड़क हादसों में 51.4 प्रतिशत की कमी आई है।
22,184 लोगों पर हुआ सर्वे
CNLU की यह सर्वे रिपोर्ट 22,184 लोगों से बातचीत पर आधारित है। इसमें 11,886 पुरुष हैं जबकि महिलाओं की संख्या 10,298 है। इसमें 80 फीसदी से अधिक लोग शराबबंदी को न सिर्फ जारी रखना चाहते हैं बल्कि इसे कड़ाई से लागू भी करना चाहते हैं। उत्पाद आयुक्त कार्तिकेय धनजी ने प्रेस कांफ्रेंस कर चाणक्या लॉ विश्वविद्यालय के सर्वे के बारे में बताया कि 4000 घरों पर आधारित यह सर्वे है। इसमें पटना, गया, बक्सर, किशनगंज, कटिहार, मधुबनी, जमुई, पूर्वी चंपारण से सैंपल लिया गया है।
सर्वे में बड़ा सवाल भी उठा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सर्वे में एक बड़ा सवाल भी उठा है कि अभी भी बड़े शराब माफिया कानून की पहुंच से बाहर हैं। यानि जो जनता शराबबंदी के कानून की तो तारीफ कर रही है। लेकिन इसे लागू करने के तरीकों और परिणामों को लेकर खुश नहीं है। लोगों का कहना है कि छोटे-छोटे धंधेबाज तो पकड़े जाते हैं लेकिन बड़े माफिया खुलेआम घूम रहे हैं।