बिहार में सीएम नीतीश कुमार जिद पर अड़े हुए हैं कि शराब पीने से होने वाली मौतों पर मुआवजा नहीं देंगे। यहां तक कह दिया कि पियोगे तो मरोगे ही। ऐसे संवेदनहीन बयान के पीछे नीतीश सरकार का यही कहना है कि ऐसे मामलों में मुआवजा का प्रावधान है ही नहीं। भाजपा के पीड़ित परिजनों को मुआवजा देने की मांग पर नीतीश कुमार कभी गुस्सा कर तो कभी हाथ जोड़कर विधानसभा में यही कहते रहे कि मत मांगिए मुआवजा। कोई पैसा नहीं मिलेगा। जो शराब पिएगा, वो मरेगा ही। ऐसी मौतों का तो हम प्रचार करेंगे। लेकिन मुआवजा मामले में सवाल यह उठ रहा है कि शराबबंदी के बाद जहरीली शराब से हुई मौतों के पहले मामले में मुआवजा दिया गया तो अब क्या दिक्कत?
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गोपालगंज में हुई थी पहली घटना
अप्रैल 2016 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गई। इस बात को सामाजिक सुधार से जोड़ते हुए सीएम नीतीश कुमार ने खूब पीठ थपथपाई लेकिन शराबबबंदी के पहले पांच माह में ही जहरीली शराब से मौतों का पहला मामला सामने आ गया। गोपालगंज के खजूरबन्नी में अगस्त 2016 में जहरीली शराब से 19 लोगों की मौत हुई थी। लगभग दर्जन भर लोगों के आंख की रोशनी भी गायब हुई थी। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से उन परिवारों को 4-4 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया था, जिनकी मौत हुई थी।
मुआवजे के रकम की FD कराई गई थी
गोपालगंज कांड में सरकार ने मरने वालों के आश्रितों को 04 लाख रुपए का मुआवजा दिया था। मुआवजे की राशि को बैंक में फिक्स डिपॉजिट में रखा गया था। FD की राशि के बदले प्रत्येक पीड़ित परिवार को बैंक से 9 सौ रूपये प्रति माह की राशि दी जाती थी। इस शराबकांड में पुलिस ने खजूरबन्नी गांव के मुख्य अभियुक्त नगीना पासी , रुपेश शुक्ला सहित कुल 14 लोगों को अभियुक्त बनाया था। एक आरोपी की ट्रायल के दौरान ही मौत हो गई थी। बाद में 13 नामजद अभियुक्तों को कोर्ट ने दोषी करार दिया था।
सारण कांड पर सरकार का झूठ
बिहार के सारण में शराबकांड पर घिरी नीतीश सरकार को मौतों की कोई चिंता नहीं है। विधानसभा में सीएम नीतीश कुमार ने साफ कह दिया कि दारू पीकर जो मरेगा, उसे कोई मुआवजा नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि ऐसी मौतों का तो हम और प्रचार करेंगे कि दारू पीने से मौत होती है। नीतीश कुमार ने साफ कह दिया कि बिहार में शराबबंदी पर कोई समझौता हो ही नहीं सकता। लोगों को समझना होगा कि शराब खराब चीज है। यहां तक कि सीएम नीतीश कुमार ने साफ कहा कि शराब से मरने वालों से संवेदना नहीं है। लेकिन अगर डंके की चोट पर सीएम नीतीश कुमार सारण शराबकांड के वक्त ये बात कर रहे हैं तो गोपालगंज में मुआवजा क्यों दिया गया? सवाल यह है कि अगर दिया गया तो आज सीएम झूठ क्यों बोल रहे हैं?