बिहार में शराबबंदी शुरू से ही विवादों में रही है। लेकिन अब शराबबंदी को गलत बताने वालों की तादाद बढ़ रही है। कोई प्रत्यक्ष रूप से शराबबंदी को गलत बताने लगा है तो कोई समीक्षा की बात कर शराबबंदी का परोक्ष तौर पर विरोध कर रहा है। प्रशांत किशोर ने शराबबंदी को गलत बताते हुए सरकार आने पर इसे हटाने का वादा कर दिया है। तो दूसरी ओर 2016 में शराबबंदी लागू करने वाली सरकार में शामिल कांग्रेस इस पर पुवर्विचार की बात कर रही है।
दरअसल, बिहार में इन दिनों सारण प्रमंडल के सारण, सीवान और गोपालगंज जिले में जहरीली शराब से मौतों के बाद शराबबंदी पर राजनीति गरम हो गई है। विपक्ष के निशाने पर सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। तीनों जिलों को मिलाकर कम से कम 39 लोगों की मौत हुई है और दर्जनों बीमार भी हैं। जहरीली शराबकांड पर अब कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुए शराबबंदी नीति की समीक्षा की मांग की है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार शराबबंदी नीति पर पुनर्विचार करे।
शराबबंदी नीति पर पुनर्विचार करे सरकार : कांग्रेस
अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि “राज्य सरकार शराबबंदी नीति पर पुनर्विचार करे, ताकि इसे ठीक ढंग से प्रभावी बनाया जा सके। कोई इसका दुरुपयोग न कर सके।” अखिलेश प्रसाद सिंह बिहार सरकार की उसी शराबबंदी नीति के पुनवर्विचार की मांग कर रहे हैं, जिसे 2016 में लागू करते वक्त कांग्रेस भी सरकार का हिस्सा थी। हालांकि अखिलेश प्रसाद सिंह ने यह भी कहा कि “कांग्रेस शराबबंदी कानून के खिलाफ नहीं है। लेकिन राज्य मे यह कानून लागू होने के बाद भी जिस तरह से शराब का कारोबार और शराब पीकर मौत की खबरें मिल रही हैं उससे तो यह लगता है कि इस कानून का प्रभाव नहीं है।”
इसके अलावा अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि “खामियों से भरी शराब नीति पर सरकार को माफी मांगनी चाहिए। सारण, सीवान और गोपालगंज जिले में जहरीली शराब पीने से 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस घटना में जिनकी मृत्यु हुई है, उनके परिजन को सरकार 25-25 लाख रुपए मुआवजा दे। उन्होंने कहा कि आंखों की रोशनी गंवाने वालों को एकमुश्त 10 लाख रुपए और मासिक 10 हजार रुपए आजीवन गुजारा भत्ता दे।”
अब कांग्रेस द्वारा बिहार की शराबबंदी की नीति पर पुनर्विचार की बात इसके खात्मे को ही लिया जा रहा है। क्योंकि बिहार की राजनीति में समीक्षा का मतलब खत्म होना बताया जाता रहा है। 2015 के चुनाव में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जब आरक्षण की समीक्षा की बात की तो कांग्रेस और राजद समेत तमाम भाजपा विरोधी दलों ने जनता को यही समझाया कि आरएसएस आरक्षण खत्म करना चाहती है। अब अखिलेश प्रसाद सिंह का शराबबंदी पर पुनवर्विचार की बात करना भी कुछ ऐसा ही समझा जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस बिहार में शराबबंदी पर प्रशांत किशोर का परोक्ष समर्थन करती दिख रही है।
आपको बता दें कि प्रशांत किशोर शराबबंदी की खिलाफत कर रहे हैं। उनका कहना है कि शराबबंदी से बिहार सरकार को आर्थिक नुकसान हो रहा है। प्रशांत ने कहा कि जनसुराज की सरकार बनी तो शराबबंदी खत्म कर दी जाएगी और तब बिहार में शराब से आने वाले राजस्व का पूरा इस्तेमाल बिहार के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था के सुधार के लिए किया जाएगा।