बिहार में जातिगत जनगणना 7 जनवरी से शुरू हो चुकी हैं। एक ओर बिहार में इसे लेकर जमकर सियासत हो रही है। वहीं दूसरी तरफ जातिगत जनगणना की मुश्किल में पड़ने की संभावना बढ़ती जा रही है। दरअसल, इस जातिगत जनगणना के बिहार सरकार के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि बिहार सरकार का जातिगत जनगणना कराने का फैसला दुर्भावना पैदा करने की कोशिश है। इसके साथ यह भारतीय संविधान का उल्लंघन भी है। कोर्ट से बिहार के जातिगत जनगणना पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है। ये याचिका बीते दिन 10 जनवरी याचिका दर्ज की गई थी जिसपर अब सुनवाई की तारीख भी सामने आ गई है। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 13 जनवरी की तारीख तय की है।
अखिलेश ने दायर की है याचिका
सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका बिहार के अखिलेश कुमार ने दाखिल की है। अखिलेश नालंदा के रहने वाले हैं। उनका कहना है कि जनगणना कानून के तहत यह काम सिर्फ केंद्र सरकार ही करा सकती है। ऐसे में बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का आदेश जारी कर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
बिहार में जारी है जातिगत जनगणना
गौरतलब हो कि बिहार में जातिगत जनगणना 7 जनवरी से शुरू हो गई है। बता दें राज्य सरकार ने दो चरणों में जातीय जनगणना होनी है। पहले चरण में मकानों की नम्बरिंग की जा रही है। दूसरे चरण में जाति और आर्थिक दोनों सवाल कर आंकड़े इकठ्ठे किए जाएंगे। पहला चरण 7 से 21 जनवरी तक चलेगा। जबकि दूसरा चरण 1 से 30 अप्रैल तक चलेगा। इस गणना के 500 करोड़ रुपए का खर्च होने का अनुमान है, जिसके लिए बिहार सरकार ने राशि मुहैया करा दी है।