बिहार के डीजीपी को ही चूना लगाने की कोशिश में नटवरलाल अपने तीन साथियों के साथ गिरफ्तार हो गया। हद तो यह हो गई कि उसने आईपीएस को बचाने के लिए सीधे डीजीपी को फोन मिला दिया। बिहार पुलिस ने इस मामले को 24 घंटे में सुलझाने में सफलता हासिल की है।
बिहार में ठगी और जालसाजी का खेल पुराना है। ऐसे-ऐसे नटवरलाल हुए हैं, जिन्होंने गांधी मैदान तक को गिरवी रख दिया था। लेकिन, ताजा मामला इन मामलों से अलग है। खेल इस बार सीधे डीजीपी को चूना लगाने का खेला गया। वह भी सीनियर जज बनकर। पैरवी आईपीएस को बचाने की थी। फोन कॉल आया तो डीजीपी भी चौंके। आखिर पूर्व एसएसपी को बचाने के लिए सीनियर जज क्यों फोन करेंगे? मातहतों को बुलाया। मामले की जानकार दी। नंबर की उच्च स्तर पर जांच की गई। पाया गया, नंबर तो जज साहब का है ही नहीं। आर्थिक अपराध इकाई (EOU) को जांच सौंपी गई। ईओयू की ओर से उच्चस्तरीय जांच शुरू हुई। खेल से पर्दा उठा। नटवरलाल अभिषेक अग्रवाल अपने तीन साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। दबिश दी गई। कबूल कर लिया, हां, मैंने ही डीजीपी साहब को आईपीएस को बचाने के लिए फोन करता था।
9 सिम, दर्जन भर मोबाइल, जालसाजी का खेल
अभिषेक अग्रवाल के पास से 9 सिम कार्ड और दर्जन भर मोबाइल बरामद किए जाने की जानकारी सामने आ रही है। पुलिस सूत्रों के हवाले से जो चीजें निकल कर आई हैं, हैरान करने वाली हैं। अभिषेक अग्रवाल पहले भी आईपीएस अधिकारियों को बचाने के लिए फोन कर चुका था। मोबाइल की फॉरेंसिक जांच में भी साफ हो गया है कि उसने एक बार फिर पूर्व एसएसपी को बचाने के लिए डीजीपी को फोन मिलाया था। आरोप प्रमाणित हुआ। इसके बाद भी अभिषेक पहले आरोपों से इनकार करता रहा। फिर, सख्ती से पूछताछ शुरू हुई। अभिषेक टूटा और सच स्वीकार कर लिया।
पहले भी जा चुका है जेल
अभिषेक अग्रवाल पहले भी जालसाजी के आरोपों में जेल जा चुका है। वर्ष 2018 में उसकी गिरफ्तारी हुई थी। तब उस पर गृह मंत्री का पर्सनल सेक्रेटरी बनकर डीजीपी को फोन करने का आरोप लगा था। इसके बाद उसे तिहाड़ जेल भेजा गया था। इससे पहले उस पर वर्ष 2014 में बिहार के एक एसपी को ब्लैकमेल करने का आरोप लगा था। एसपी के पिता से उसने मोटी रकम वसूल थी। उसके खिलाफ भालपुर में भी जालसाजी का मुकदमा दर्ज हुआ था। उसने एक अन्य आईपीएस अधिकारी से 2 लाख रुपये की ठगी की थी।
खुद को हाईक्लास करता था साबित
अभिषेक अग्रवाल खुद को हाईक्लास साबित करने की कोशिश में रहता था। उसने अपने व्हाट्सऐप डीपी में सीनियर जज के साथ खिंचाई तस्वीर लगा रही थी। फेसबुक पर हमेशा नेताओं और अधिकारियों के साथ खिचाई तस्वीरों को शेयर करता था। इसके लिए अपना भौकाल बनाने की कोशिश करता था। उसकी कथित पहुंच के झांसें में कई अधिकारी भी फंसे हैं। अभिषेक ने जिस आईपीएस अधिकारी की पैरवी को लेकर डीजीपी को फोन मिला था, उन्हें पिछले दिनों लगे आरोपों में क्लीन चिट मिल गई है। आईपीएस के खिलाफ एसएसपी रहते शराब के एक मामले में थाने में केस दर्ज हुआ था। अब आरोपी नटवरलाल अभिषेक के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। ईओयू ने आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी नाम से फोन करने और साइबर क्राइम की धाराओं में केस दर्ज किया है। साथ ही, जिस आईपीएस को बचाने के लिए वह फोन करता था, उस अधिकारी के खिलाफ भी मामला दर्ज कराया गया है।