प्रसिद्ध सेल्फ़-हेल्प लेखक, सांस्कृतिक अभियानी और मिथिला गान एवं पाग गीत के रचनाकार डॉ. बीरबल झा को उनके साहित्यिक- सांस्कृतिक कार्यों और समाज सेवा में योगदान के लिए ‘कवि कोकिल विद्यापति पुरस्कार- 2022’ से सम्मानित किया गया। डॉ. झा को यह प्रतिष्ठित सम्मान सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन विद्यापति मिथिला मैथिल मंच के तत्वावधान में शनिवार को दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में प्रदान किया गया।
मिथिला क्षेत्र में जन्मे और पले-बढ़े डॉ. बीरबल झा ने 1993 में ब्रिटिश लिंग्वा नाम की संस्था के तहत भारतीय समाज के वंचितों और दलितों को अंग्रेजी संचार कौशल सिखाने का काम शुरू किया। उन्होंने मिथिला की संस्कृति के साथ ही भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए कई पहल की। उन्होंने नैतिकता और मूल्यों की रक्षा के लिए अभियान चलाया। उनकी शिक्षण शैली, शैक्षणिक ज्ञान, लेखन कला एवं लेखन कृति से लाखों युवाओं को लाभ हुआ और उनसे प्रेरणा लेकर वे आज सफल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
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‘सम्मानित होने के बाद मेरी जिम्मेदारी और बढ़ गई है’
मिथिला के यंगेस्ट लिविंग लीजेंड के रूप में ख्याति प्राप्त भाषाविद् डॉ. बीरबल झा ने इस अवसर पर कहा कि भाषा संचार का एक माध्यम है जबकि संस्कृति पूर्ण आनंद के लिए जीवन जीने का एक तरीका है। हालांकि, भारतीय संदर्भ में अंग्रेजी भाषा, एक भाषा से अधिक कौशल बन गई है। इसलिए, हमें केंद्र सरकार के त्रि-भाषा फार्मूले के तहत भी इसमें महारत हासिल करने की आवश्यकता है। यह देखते हुए कि भारत 1652 भाषाओं और बोलियों वाला एक बहुभाषी समाज है, इसकी जरूरत और बढ़ जाती है। डॉ. झा ने आगे कहा कि विद्यापति पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद मेरी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। मैं आगे और उत्साह से देश में साहित्यिक विकास के साथ ही संस्कृति के क्षेत्र में जिम्मेदारी निभाने की कोशिश करूंगा।
डॉ. बीरबल झा के सराहनीय कार्य
डॉ. बीरबल झा को हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद द्वारा वर्ष 2022 के लिए ‘मिथिला विभूति’ खिताब से नवाजा गया है। एक ओर, डॉ. बीरबल झा को ‘इंग्लिश फॉर ऑल’ के नारे के साथ भारत में अंग्रेजी प्रशिक्षण में क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है, तो दूसरी ओर, उनके भारतीय सांस्कृतिक आंदोलन जैसे ‘पाग बचाओ अभियान’ व आदर्श विवाह जैसे ट्रेडमार्क और कॉपीराइट प्राप्त कार्यक्रम के लिए मानसपटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले सफल सांस्कृतिक अभियानी माना जाता है।
गौरतलब है कि डॉ. बीरबल झा ने न केवल सदियों पुरानी मिथिला की पाग संस्कृति को सफलतापूर्वक पुनर्जीवित किया और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक चर्चा में लाने के साथ ही फैशन में लाया, बल्कि पाग एक शब्द के रूप में अंग्रेजी शब्दकोश में दर्ज करबाया। भारतीय मूल्यों और लोकाचार के प्रसार पर उनके लेखन को खूब सराहा गया, और गाया भी गया। सामूहिक विवाह व आदर्श विवाह के लिए सौराठ सभा के पुनरुद्धार में उनके प्रयास और अभियान सराहना की जाती है। इस अभियान के लिए उन्होंने एक गीत की रचना भी की थी जिसके बोल थे- ‘प्रीतम नेने चालू’। यह गीत आज भी मिथिला क्षेत्र के लोगों के दिलो-दिमाग में गूंजता है।
पहले भी मिल चुके हैं कई सम्मान
डॉ. बीरबल झा को कई अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें अब तक राष्ट्रीय शिक्षा उत्कृष्टता पुरस्कार- 2010, कृति पुरुष पुरस्कार- 2011, पर्सन ऑफ द ईयर- 2014, स्टार ऑफ एशिया अवार्ड- 2016, ग्रेट पर्सनालिटी ऑफ इंडिया अवार्ड- 2017, बिहार अचीवर अवार्ड- 2017, पागमैन अवार्ड, ग्लोबल स्किल्स ट्रेनर अवार्ड- 2022 मिल चुके हैं। इसके अलावा कई अन्य प्रशस्ति-पत्र और सम्मान उनके नाम हैं।