बिहार सरकार ने जमीन की ई-मापी प्रक्रिया को और आसान बनाने का फैसला लिया है। अब रैयत को जमीन की मापी के लिए राजस्व कर्मचारी की रिपोर्ट की आवश्यकता नहीं होगी। इसके बजाय, रैयत को एक शपथ पत्र जमा करना होगा, जिसके आधार पर सीओ द्वारा उनकी जमीन की मापी कराई जाएगी।
यह बदलाव क्यों किया गया?
पहले, रैयत को जमीन की मापी के लिए आवेदन करना होता था, जिसमें राजस्व कर्मचारी की रिपोर्ट शामिल होती थी। रिपोर्ट में देरी के कारण मापी प्रक्रिया शुरू होने में देरी होती थी और रैयत को अनावश्यक रूप से कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता था।
नई प्रक्रिया क्या है?
अब, रैयत को ई-मापी आवेदन के साथ एक शपथ पत्र जमा करना होगा। शपथ पत्र में, रैयत को दो बातों की पुष्टि करनी होगी:
- जिस जमीन की मापी के लिए वे आवेदन कर रहे हैं, उस पर उनका स्वामित्व है।
- जमीन से संबंधित कोई विवाद किसी न्यायालय में लंबित नहीं है।
यदि कोई विवाद लंबित है और न्यायालय ने मापी का आदेश दिया है, तो रैयत को आदेश की प्रति आवेदन के साथ संलग्न करनी होगी।
इस बदलाव के क्या फायदे हैं?
- यह जमीन की मापी प्रक्रिया को तेज और अधिक कुशल बना देगा।
- रैयत को अनावश्यक रूप से कार्यालयों का चक्कर लगाने से बचाएगा।
- जमीन से संबंधित विवादों को कम करने में मदद करेगा।