बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के रामचरितमानस को लेकर दिए गए बयान पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। विपक्ष से लेकर साधु-संत तक सभी उनके बयान पर आपत्ति जता रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर अपने बयान पर अडिग हैं। उन्होंने आज एक बार फिर से रामचरितमानस को लेकर नया ज्ञान दिया है। दरअसल पूरा विवाद बीते दिन बुधवार को उनके दिए एक बयान से शुरू हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि रामचरितमानस को जहर फैलाने वाला ग्रंथ बताया था। विवाद के बाद भी शिक्षा मंत्री बैकफुट पर नहीं आए उन्होंने भीमराव अंबेडकर का हवाला देते हुए अपने बयान का बचाव किया है।
Bihar: 6 अपर जिला सत्र व न्यायाधीशों का तबादला, HC की अनुशंसा के बाद बिहार सरकार ने लिए फैसला
“हमारे पुरखे जीभ कटवाते रहे हैं”
शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के बयान पर अयोध्या के संत जगतगुरु परमहंस आचार्य ने अपनी प्रतिक्रिया दी। जिसमें उन्होंने शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर की जुबान को कटाने वाले को 10 करोड़ रुपए की इनाम देने का ऐलान भी कर डाला। जिसके बाद एकबार फिर से शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर सामने आए और अपने बयान पर अडिग रहने की बात कही।अपने ताजा बयान में शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा कि अमेरिका ने भीमराव अंबेडकर को ज्ञान का प्रतीक कहा, उन्होंने मनुस्मृति क्यों जलाई? रामचरितमानस पर नया ज्ञान देते हुए उन्होंने कहा कि हम उस राम के भक्त हैं जो शबरी के झूठे बेर खाते हैं, उसके नहीं जो शंबूक का वध करे। मेरी जीभ काटने पर फतवा दिया गया है,हमारे पुरखे जीभ कटवाते रहे हैं इसलिए हम बयान पर अडिग हैं। उन्होंने आगे कह कि मैंने जो भी बोला है सही बोला है इसलिए अपने बयान से पीछे नहीं हटूंगा।
इस बयान से शुरू हुआ विवाद
दरअसल बीते दिन बुधवार को नालंदा खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान उन्होंने एक बयान दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि धार्मिक ग्रंथों ने समाज में जातिवाद का जहर फैलाया है। एक युग में मनुस्मृति ने जहर फैलाया। उसके बाद रामचरित मानस ने जहर फैलाया।इसके बाद गोलवलकर के बंच ऑफ थॉट्स ने यही काम किया। साथ ही उन्होंने रामायण की एक चौपाई “अधम जाति में विद्या पाए,भयहु यथा अहि दूध पिलाए” का जिक्र करते हुए भी उससे आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि इस चौपाई का मतलब है कि का मतलब है कि निचले जाती के लोग ज्ञान प्राप्त कर सांप के समान जहरीले हो जाते हैं। इसी बयान को लेकर विवाद बढ़ता चला गया लेकिन अपने इसी बयान पर वो आज भी कायम है।