बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने मंगलवार 9 जनवरी को कहा कि कुछ समाचार पत्रों के माध्यम से मेरी खबरों को भ्रामक तरीके से फैलाया जा रहा है। याद रहे,मैं प्रभु श्री राम का भक्त हूं। उस राम का जो सबरी के जूठे बेर खाते हैं। उन्होंने कहा कि रामायण में श्री राम से संबंधित जहाँ कई महान बातें हैं, वहीं एक ओर मनुस्मृति है। चंद्रशेखर ने कहा कि धर्म की आड़ में नफरत, छुआछूत जैसी चीजें नहीं फैलाने देंगे। आप हीं बताइये न, आज भी मंदिर में सबरी और एकलव्य के बेटे को रोक दिया जाता है, क्या है कोई जवाब?
गर्भगृह में अश्विनी वैष्णव जा सकते हैं पर द्रोपदी मुर्मू को रोका जाता है, क्योंकि वो आदिवासी समाज से आती हैं? इस संदर्भ में पूर्व राष्ट्रपति की पत्नी और बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी का उदाहरण भी उन्होंने दिया।
मंत्री चंद्रशेखर ने अपने पिछले बयान पर सफाई देते हुए कहा कि ईश्वर तो हममें आपमें हैं, फिर इसके लिए मन्दिर जाने की क्या आवश्यकता। उन्होंने पुनः सावित्री बाई के कथनों को दोहराते हुए कहा कि मन्दिर हमें मानसिक गुलामी की ओर ले जाते हैं, वहीं विद्यालय हमें मानसिक स्वतंत्रता की ओर।
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा,फतेह बहादुर सिंह ने जो सावित्री बाई फुले की बात कही थी, उसमे कहीं कोई अतिशयोक्ति नहीं। सावित्रीबाई फुले को ठीक से वे समझा नही पाए। उनकी बातों को मैं कोट करता हूँ। सावित्री बाई फुले अपने समाज़ की प्रथम शिक्षित नारी थीं, जिन्होंने बड़े संघर्ष से शिक्षा पाई थी। फतेह बहादुर जैसे लोग जब
अपना विचार रखते हैं, फतवा आने लगता है! इन जीभ और गर्दन काटने वालों को हमारी चुनौती है।
अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शरीक होने की बात पर मंत्री ने कहा, “नफरतवादियों के मंदिर में क्यों जाऊं?”