सरकारी स्कूलों में मिड डे मील की गुड़वत्ता को लेकर हमेशा सवाल उठता रहता है। अक्सर मिड डे मील खाने से बच्चों के बीमार होने की खबर भी सामने आती है। अब बिहार शिक्षा विभाग ने मिड डे मील को लेकर नया फरमान जारी किया है। इस नए फरमान में स्कूलों में बच्चों को अंडा खिलाने के पहले अंडे की गुणवत्ता जांचना अनिवार्य कर दिया गया है।
शिक्षा विभाग की ओर से मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक मिथिलेश मिश्रा ने सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को पत्र लिख कर अंडों की गुणवत्ता की जांच कराने का निर्देश जारी कर दिया है। पत्र में लिखा गया है कि अंडों की गुणवत्ता जांचने के बाद ही बच्चों को खाने के लिए अंडा परोसा जाए। शिक्षा विभाग ने कहा है कि मिड डे मिल के साप्ताहिक मेन्यू में प्रत्येक शुक्रवार/रविवार को एक संपूर्ण उबला हुआ अंडा अथवा मौसमी फल विद्यालय में उपस्थित सभी बच्चों को दिए जाने का प्रावधान है।
मिथिलेश मिश्रा ने कहा कि वर्तमान में विभाग के द्वारा प्रतिदिन लगभग 40000 विद्यालयों का निरीक्षण किया जा रहा है, जिसमें वरीय पदाधिकारी भी शामिल हैं। विगत दिनों अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग केके पाठक के द्वारा विद्यालय के भ्रमण और निरीक्षण के दौरान एक विद्यालय के कमरे में ताला लगा पाया गया। खुलवाने पर यह देखा गया कि एक बाल्टी में उबला हुआ अंडा भर कर रखा गया है और यह घटनाक्रम लगभग 4:00 बजे का था। इस समय तक बच्चों की उपस्थिति पंजी में दर्ज नहीं थी।
स्कूलों में लापरवाही को देखते हुए विभाग ने कहा कि इस लापरवाही से यह प्रतीत होता है कि प्रधानाध्यापकों द्वारा बच्चों की भौतिक उपस्थित लिए बिना ही अंडों को उबाल दिया जाता है। जिसके कारण योजना के संसाधनों का दुरुपयोग होता है। विभाग ने निर्देश दिया है कि सभी वर्ग के छात्र-छात्राओं की उपस्थिति सुबह 10 बजे तक प्रथम घंटी में ही दर्ज कर ली जाए। इसके बाद मिड डे मिल पंजी को 11 बजे संधारित कर लिया जाए और इसके आधार पर ही बच्चों के लिए अंडा उबाला जाए।
शिक्षा विभाग ने कहा कि जो बच्चे शाकाहारी हैं, उनके लिए केला अथवा सेब का प्रबंध करें और जो बच्चे अंडा खाते हैं उनके लिए ही अंडा उबालें। खराब अंडे और खराब फल को किसी भी परिस्थिति में बच्चों को खाने के लिए नहीं दिया जाना है। मध्याह्न भोजन के प्रभारी शिक्षक यदि अवकाश में जाते हैं तो किसी अन्य शिक्षक को प्रभार में देकर जाएं और प्रभारी शिक्षक इस निर्देश को पालन करें।