बिहार में नदी किनारे बसे शहरों में हवा की गुणवत्ता सबसे ज्यादा खराब पाई गई है। इसमें पटना, बेगूसराय, भागलपुर, हाजीपुर, छपरा, मुंगेर, कटिहार, आरा, बक्सर, समस्तीपुर आदि शामिल हैं। पटना, हाजीपुर, बेगूसराय, कटिहार जैसे शहर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। विशेषज्ञ वजह ये बता रहे हैं कि पटना में गंगा किनारे इन्फ्रास्ट्रक्चर ज्यादा होने से प्रदूषण का स्तर हमेशा ऊपर होता है। विशेष रूप से गांधी मैदान व दीघा के क्षेत्रों में हवा अधिक खराब रहती है। वहीं बेगूसराय के दियारा क्षेत्र भी धूल कणों से भरे होते हैं और वहां के एक्यूआई को बढ़ा देते हैं। कटिहार दो प्रमुख नदियों गंगा और कोसी पर बसा है और यही कारण है कि यहां का प्रदूषण स्तर हमेशा ऊँचा रहता है। हाजीपुर में गंगा व गंडक नदियों के कारण हवा काफी खराब रहती है।
नदी किनारे की हल्की मिट्टी से बढ़ा प्रदूषण : विशेषज्ञ
विशेषज्ञों का कहना है कि नदी किनारे की हल्की मिट्टी के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ है। पर्यावरणविद् तथा बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन डॉ. एके घोष के अनुसार नदियों की मिट्टी घनत्व में बहुत ही हल्की होती है। जब नदियां शहर से दूर चली जाती हैं, तो वहां आबादी बसने लगती है। निर्माण कार्य शुरू हो जाते हैं। सडकें बनने लगती हैं। ऐसी स्थिति में नदियों द्वारा वाहित हल्की मिट्टी हवा में उड़ने लगती है। फलस्वरूप हवा में पीएम10 (पार्टिकुलेट मैटर <10) और पीएम 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर <2.5) नामक प्रदूषक कणों की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे हवा का एक्यूआई बढ़ने लगता है। यही कारण है कि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद बड़ी नदियों के किनारे बसे प्रमुख 11 शहरों में हवा की गुणवत्ता का आकलन कर रहा है।
एक और प्रमुख कारण को गिनाते हुए विशेषज्ञों ने बताया कि सड़क किनारे चाटों को ऐसे ही छोड़ देने से धूल-कण उड़ते रहते हैं और वायु को लगातार प्रदूषित करते हैं। यदि सड़क निर्माण के समय ही इन चाटों का भी पक्कीकरण कर दिया जाए, तो प्रदूषण नियंत्रण में काफी मदद मिल सकती है। इसके अलावे हरित वातावरण ज्यादा से ज्यादा विकसित करके, सड़कों के किनारे, पार्कों, मैदानों आदि में अत्यधिक वृक्षारोपण तथा पेड़ों की कटाई पर लगाम लगाकर वायु की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है।
हवाओं की प्रतिचक्रवात क्रिया भी एक प्रमुख कारण
प्रदूषण बोर्ड के वैज्ञानिकों के अनुसार पश्चिम से आने वाली प्रदूषण रहित हवा और पूर्व से आने वाली प्रदूषित हवा एंटीसाइक्लोन क्रिया द्वारा हवा में प्रदूषक कणों की मात्रा बढ़ा देती है और वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। स्थानीय स्तर पर ग्रेडेड रिस्पोंस एक्शन प्लान (ग्रैप, जीआरएपी) लागू करके प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। दरअसल, ग्रैप एंटी-एयर पॉल्यूशन मापकों का एक सेट है, जो विभिन्न तरीके तथा विभिन्न प्रारूपों में वायु प्रदूषण का आंकलन करती है।
27 नवंबर, सोमवार को कुछ प्रमुख शहरों का एक्यूआई लेवल
- पटना : 503
- बेतिया : 445
- सीवान : 432
- बेगूसराय : 408
- पूर्णिया : 390
- बक्सर : 389
- सहरसा : 384
- दरभंगा: 376
- छपरा : 367
- मोतिहारी : 328
- बिहारशरीफ : 322
- भागलपुर : 317
- मुजफ्फरपुर : 312