सीतामढ़ी जिले में नेपाल की लगातार बारिश का असर साफ दिख रहा है. सोमवार सुबह से ही अधवारा समूह की झीम, सिंगयाही और गोगा नदियां फिर से उफान पर हैं. सोनबरसा बाजार का हाल बेहाल है. झीम नदी का पानी नेपाल सीमा और पटेल नगर सरेह होते हुए फैल रहा है. वहीं, भारत-नेपाल सीमा स्थित हनुमान चौक के पास सड़क पर तो तीन फुट से भी ज्यादा पानी भर गया है. जिसके चलते आवागमन पूरी तरह से ठप पड़ गया है. ग्रामीण किसी तरह ट्रैक्टरों की मदद से आने-जाने को मजबूर हैं. बाढ़ का पानी बसंतपुर, जहदी, लक्ष्मीपुर, लालबंदी, छोटी मयुरवा, बड़ी मयुरवा, चिलरी और चिलरी गांवों को चारों तरफ से घेर चुका है.
परेशानी यहीं खत्म नहीं होती. बसंतपुर से आने वाली सड़क पर बने झीम नदी के डायवर्सन टूट जाने से लगातार छठे दिन भी आवागमन बाधित है. लोगों को अब दलकावा और नरकटिया होते हुए 10 किलोमीटर का अतिरिक्त रास्ता तय करना पड़ रहा है.
जिलाधिकारी शिल्पी कुमारी का कहना है कि नेपाल में हो रही अत्यधिक बारिश के कारण वहां से पानी छोड़ा जा रहा है, जिसके चलते सीतामढ़ी जिले में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. फिलहाल सिर्फ बसंतपुर गांव का डायवर्सन टूटने की सूचना है. सभी पंचायतों के कर्मचारियों को बाढ़ की स्थिति पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं. किसी भी तरह की क्षति होने पर तुरंत रिपोर्ट देनी है ताकि समय रहते आगे की कार्रवाई की जा सके.
दूसरी ओर, नेपाल के तराई क्षेत्रों में हुई भारी बारिश का असर श्रीखंडी भिट्ठा गांव पर भी पड़ा है. सोमवार को गांव से होकर बहने वाली रातो नदी अचानक उफान पर आ गई. बाढ़ का पानी सीधे वार्ड नंबर 5 में घुस गया है. जिसके चलते वहां जाने वाली पीसीसी सड़क भी पानी में डूब गई है. ग्रामीणों को रोजमर्रा की खरीदारी के लिए भी बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. हर साल बाढ़ का दंश झेलने वाले करीब 500 अनुसूचित और पिछड़ी जाति के परिवारों को फिर से घरों में पानी भरने का डर सता रहा है.
बाढ़ सूचक यंत्र के केयर टेकर के मुताबिक रातो नदी का जलस्तर खतरे के निशान से सिर्फ 20 सेंटीमीटर नीचे है. लगातार बढ़ रहे जलस्तर को देखते हुए बाढ़ का खतरा बना हुआ है. मुखिया प्रतिनिधि का कहना है कि वार्ड नंबर 5 को बाढ़ से बचाने के लिए बनाए जा रहे तटबंध अधूरे हैं, जिससे परेशानी और बढ़ रही है.
लगातार हो रही बारिश और नदियों के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन को सतर्क रहने की जरूरत है. बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने की जरूरत है.