पटना में सहायक उर्दू अनुवादक अभ्यर्थियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। बीएसएससी कार्यालय अभ्यार्थी प्रदर्शन करने के लिए जा रहे थे लेकिन रास्ते में ही पुलिस ने सभी को रोक दिया। इस दौरान पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच हल्की नोक झोंक भी हुई। इसके बाद पुलिस ने हल्का बल का प्रयोग किया। इस दौरान धक्का मुक्की में कई अभ्यर्थी को चोट भी लगी। एक महिला अभ्यर्थी बेहोश भी हो गई। अभ्यर्थियों ने प्रशासन पर पीटने का आरोप लगाया और कहा महिलाओं को भी चोट लगी है। अभ्यर्थियों का कहना है कि 2019 में ही बहाली आई थी पीटी परीक्षा दे दिए लेकिन अभी तक मेरिट लिस्ट नहीं आया है और साल 2024 आ गया। रिजल्ट जारी करने की मांग को लेकर अभियार्थियो ने खूब नारेबाजी की।
वहीं बीएसएससी कार्यालय के गेट पर भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग रिजल्ट देने में देरी क्यों कर रही है। अगर कोई त्रुटि थी तो आयोग को 2 वर्षों के बाद कैसे पता चला। उनका कहना है कि 25-30 अभ्यर्थियों की त्रुटि के कारण बाकी अभ्यर्थी रिजल्ट का कब तक इंतजार करें। उनका आयोग से सवाल है कि 1294 रिक्तिया के विरुद्ध जिसमें लगभग 900 रिक्तियों पर अंतिम मेरिट लिस्ट आना है जिसके लिए 2200 की संख्या प्रयाप्त होती है। फिर अलग से 291 अभ्यर्थियों के लिए मुख्य परीक्षा का आयोजन क्यों??
क्या है मामला
दरअसल, बिहार में 2019 में मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग (बिहार कर्मचारी चैन आयोग) की तरफ से 1294 पदों के लिए सहायक उर्दू अनुवादक का विज्ञापन जारी किया गया था। इसके बाद 2021 में उक्त परीक्षा के लिए प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन कराया गया जिसमें 5322 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए आयोग द्वारा सफल घोषित किया गया। 2022 में मुख्य परीक्षा के बाद जुलाई में करीब 1374 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग की प्रक्रिया कराई गई। लेकिन करीब 2 वर्ष तक मामला माननीय उच्च न्यायालय में लंबित होने के कारण आगे की कोई प्रकिया नहीं की जा सकी।
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जिसके बाद अक्तूबर- 2023 में न्यायलय द्वारा मामला खारिज किए जाने के बाद आयोग द्वारा लगभग 800 अभ्यर्थियों की दूसरी काउंसलिंग इस अधिसूचना के साथ कराई गई कि उक्त रिक्तियों के विरुद्ध अभ्यर्थियों की संख्या कुछ कम हो रही है। 1294 पदों की बहाली के लिए समान्य वर्ग के साथ साथ पिछड़ी, अति पिछड़ी जाति तथा अनुसूचित जाति/जनजातियों के भी पदों की गणना के बाद आयोग को लगभग सिर्फ 800-900 पदों पर ही अभ्यर्थियों की सूची जारी करनी थी। इसके लिए 2200 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग आयोग द्वारा पहले ही पूर्ण की जा चुकी है। मगर आयोग अब अंतिम मेरिट लिस्ट की घोषणा करने के बजाय त्रुटि का हवाला देते हुए 291 और अभ्यर्थियों को प्रारम्भिक परीक्षा में 2 साल बाद पास करा कर मुख्य परीक्षा लेने की घोषणा कर दिया है। जिसको लेकर अभ्यर्थियों में आक्रोश है। अभ्यर्थियों का कहना है कि छात्र अपनी मानसिक संतुलन खो रहे हैं लेकिन नीतीश सरकार अब भी सो रहे हैं।