मुजफ्फरपुर। डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में गोवा से आए मुख्य प्रशिक्षकों के लिए आयोजित मशरूम उत्पादन एवं प्रसंस्करण विषय पर आधारित 15 दिवसीय प्रशिक्षण के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन विद्यापति सभागार में किया गया, जिसकी शुरुआत मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने दीप जलाकर कर किया। उन्होंने प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि गोवा पर्यटक स्थल के साथ- साथ कृषि के लिए भी देश में जाना जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण से गोवा से आए प्रशिक्षुओं को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा, और मुख्य प्रशिक्षक द्वारा प्रशिक्षण के दौरान अर्जित ज्ञान को गोवा के गांव-गांव तक पहुंचाया जाएगा, जिससे मशरूम उत्पादन एवं प्रसंस्करण को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसमे खेती का अपना विशेष महत्व है। बिहार मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में पूरे देश में प्रथम है, इसमें इस विश्वविद्यालय की भुमिका अहम है। अब इस विश्वविद्यालय से ही पूरे देश में मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में मार्गदर्शन मिलेगा।
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उन्होंने बिहार में जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों एवं किसानो के प्रयास से प्राकृतिक खेती कर किसानों की आय में वृद्धि होगी। जरूरत है हमें ज्यादा से ज्यादा किसानों को जागृत करने की। विश्वविद्यालय मशरूम उत्पादन के साथ-साथ मधु उत्पादन में भी अपना कार्य कर रहा है जो सराहनीय है। मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए वि वि के कुलपति डॉ पी एस पांडेय ने कहा कि पूसा कृषि शिक्षा व शोध की जन्म स्थली है, जिसका इतिहास कृषि से पुराना है। कृषि सभी प्राणियों के जीवन का आधार है। उन्होंने कृषि के विकास में महिला की भूमिका को अग्रणी बताया।
उन्होंने कहा कि मशरूम की खेती कम जमीन पर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि समय की मांग है वोकल फॉर लोकल की जिसे अपना कर लोग व समाज स्वावलंबी बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण देकर मशरूम उत्पादन एवं प्रसंस्करण का विकास किया जाएगा। कुलपति ने कहा कि मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति लाने का श्रेय मशरूम मैन डॉ दयाराम को जाता है, जिन्होंने बिहार को प्रथम दिलाया है। अब वे इसे देश के अन्य प्रदेश में भी फैलाने के लिए प्रयासरत हैं।