बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव का गृह जिला गोपालगंज है, जहां के फुलवरिया में उनका पैतृक आवास है। लेकिन गोपालगंज कभी भी लालू की पार्टी का गढ़ नहीं रहा। कुछ चुनावों में लालू की पार्टी के उम्मीदवारों को जीत जरुर मिली है लेकिन पिछले 20 सालों में हुए चार लोकसभा चुनावों में एनडीए का उम्मीदवार ही जीता है। इस बार एनडीए में यह सीट जदयू के खाते में है, जहां से सांसद डॉ. आलोक कुमार सुमन ही उम्मीदवार बनाए गए। जबकि महागठबंधन की ओर से वीआईपी के प्रेमनाथ चंचल को उम्मीदवार बनाया गया। गोपालगंज सीट पर भी छठे चरण में मतदान हुआ, जिसमें जदयू के आलोक कुमार सुमन विजयी रहे।
गोपालगंज से 11 उम्मीदवार थे मैदान में
इस बार इस सीट पर 11 उम्मीदवार रहे। जदयू के डॉ. आलोक कुमार सुमन और वीआईपी के प्रेमनाथ चंचल के अलावा एआईएमआईएम के दीनानाथ मांझी, बसपा के सुजीत कुमार राम, बहुजन मुक्ति पार्टी के जितेंद्र राम, गण सुरक्षा पार्टी के राम कुमार मांझी, भारतीय राष्ट्रीय दल के सुरेंद्र राम उम्मीदवार थे। जबकि सत्येंद्र बैठा, भोला हरिजन, नमी राम और अनिल राम निर्दलीय उम्मीदवार थे।
पिछले चुनावों की बात करें तो गोपालगंज से रिकॉर्ड है कि लगातार दो बार एक ही सांसद नहीं चुना गया है। इसके बावजूद जदयू ने डॉ. आलोक कुमार सुमन को दुबारा उम्मीदवार बनाया। 2019 में डॉ. सुमन ने राजद के सुरेंद्र राम को 2.86 लाख वोटों से हराया था। जबकि 2014 में भाजपा के जनक राम ने कांग्रेस की डॉ. ज्योति भारती को 2.86 लाख वोटों से हराया था। गोपालगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा सीटों में से 4 पर एनडीए का कब्जा है जबकि दो पर राजद का।