बिहार में बेखौफ होकर चल रहे अवैध खनन पर लगाम कसने के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने खनन पदाधिकारियों को विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियां देने का फैसला लिया है। खान एवं भू-तत्व विभाग ने इस संबंध में एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर गृह विभाग को सौंप दिया है।
इससे पहले विभाग ने खनन पुलिस का गठन करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन अब इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। अब सरकार का मानना है कि खनन पदाधिकारियों को ही मजिस्ट्रेट की शक्तियां देकर अवैध खनन पर अंकुश लगाया जा सकता है।
खनन पदाधिकारियों को मजिस्ट्रेट की शक्तियां मिलने के बाद वे अवैध खनन करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई कर सकेंगे। वे अवैध खनन को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठा सकेंगे और दोषियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करा सकेंगे।
हालांकि, आरोपितों पर गोली चलाने का अधिकार सिर्फ पुलिस के पास ही सीमित रहेगा। खनन पदाधिकारियों को यह अधिकार नहीं दिया जाएगा।
सरकार का यह कदम क्यों महत्वपूर्ण है:
- अवैध खनन पर रोक: इस कदम से राज्य में बेखौफ होकर चल रहे अवैध खनन पर अंकुश लग सकेगा।
- राजस्व में वृद्धि: अवैध खनन रुकने से सरकार को राजस्व में वृद्धि होगी।
- पर्यावरण संरक्षण: अवैध खनन से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोका जा सकेगा।
- कानून व्यवस्था: अवैध खनन से जुड़े अपराधों पर लगाम लगेगी और कानून व्यवस्था सुधरेगी।
अब देखना होगा कि सरकार इस फैसले को कितने प्रभावी ढंग से लागू करती है। अगर सरकार इस फैसले को ठीक से लागू करती है तो बिहार में अवैध खनन पर लगाम लग सकती है और राज्य का विकास हो सकता है।