शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच तकरार कम होता नज़र नहीं आ रहा है। बिहार के राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर ने मंगलवार को ‘शिक्षा विभाग के अधिकारियों’ पर राज्य भर के विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र के नियमितीकरण में बाधा डालने का आरोप लगाया। बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति ने यह टिप्पणी यहां राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए की।
राज्यपाल ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि बिहार शिक्षा विभाग के अधिकारी शैक्षणिक सत्रों को नियमित करने की दिशा में सभी प्रयासों जिसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं, को विफल करना चाहता है । उन्होंने कहा, ‘इससे शिक्षा प्रणाली पुरानी दयनीय स्थिति में लौट आएगी। राज्य के शिक्षा परिदृश्य में सुधार के लिए विभाग और राजभवन के बीच उचित समन्वय आवश्यक है।’ राज्यपाल ने कुलपतियों को आश्वासन देते हुए कि उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा, उनसे छात्रों के हित में कार्य करने का आग्रह किया।
राजभवन के एक बयान के अनुसार, कुलपतियों ने कहा कि विश्वविद्यालयों के बैंक खातों को फ्रीज करने के विभाग के आदेश ने ‘परीक्षाओं के समय पर आयोजन और उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को प्रभावित किया है।’विभाग ने पिछले महीने संबंधित कुलपतियों की समीक्षा बैठक में भाग लेने में विफलता के बाद अधिकांश राज्य विश्वविद्यालयों के बैंक खातों को फ्रीज करने का आदेश दिया था। कुलपतियों ने राज्यपाल को सूचित किया, ‘विभाग को विश्वविद्यालयों के खातों को फ्रीज करने का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। अधिक से अधिक वह ऐसी कार्रवाई की सिफारिश कर सकता है, जिसके आधार पर कुलाधिपति उचित आदेश पारित कर सकते हैं।’
कुलपतियों ने राज्यपाल के समक्ष यह भी आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग सोशल मीडिया पर एक अभियान चला रहा है, जिससे यह आभास हो रहा है कि राजभवन और कुलपति उच्च शिक्षा में सुधार के लिए विभाग के प्रयासों में बाधा डाल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया, ‘पिछले एक वर्ष के दौरान नियमित रूप से कक्षाएं और परीक्षाएं समय पर आयोजित की गई हैं। यह शिक्षा विभाग को पसंद नहीं है इसलिए वह बाधाएं डाल रहा है।’
बता दें कि राज्यपाल एवं कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सभी विश्वविद्यालयों में ठप वित्तीय कामकाज का कोई हल निकालने के लिए मंगलवार को राजभवन में कुलपतियों की बैठक बुलायी थी। राज्यपाल की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को भी आमंत्रित किया गया था। ताज्जुब यह कि इस महत्वपूर्ण बैठक में भी न केके पाठक गए और न ही शिक्षा विभाग के अन्य कोई अफसर। हालांकि, यह बैठक डेढ़ घंटा से ज्यादा समय तक चली। इस दौरान राज्यपाल ने एक-एक कुलपति से उनके विश्वविद्यालय में ठप वित्तीय कामकाज से उत्पन्न समस्याओं के बारे में जानकारी ली।