बिहार के बाहुबली आनंद मोहन तो रिहा हो चुके हैं। लेकिन उनकी मुश्किलें अभी उनसे रिहा नहीं हुई है। बिहार सरकार की विशेष कृपा प्राप्त आनंद मोहन को रिहाई तो मिल गई लेकिन एक बार फिर कोर्ट-कचहरी का चक्कर शुरू हो गया है। जेल से बाहर आनंद मोहन बेटे की शादी के जश्न में तो झूम लिए, अब सुप्रीम कोर्ट उनकी रिहाई पर फैसला करेगा। दरअसल, गोपालगंज के जिलाधिकारी रहे जी कृष्णैया की ह’त्या के दोषी पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस पर सुनवाई 8 मई को होनी है।
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उमा देवी ने दायर की है याचिका
इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच में होनी है। याचिका जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने दायर की है। उमा देवी ने आनंद मोहन की रिहाई के साथ बिहार सरकार द्वारा कानून में किए गए संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। दरअसल, IAS अधिकारी जी कृष्णैया की ह’त्या के मामले में दोषी आनंद मोहन को सजा तो उम्रकैद की मिली थी। बिहार में प्रावधान भी था कि सरकारी कर्मी की ह’त्या के दोषियों की सजा माफ नहीं होगी। लेकिन बिहार की नीतीश सरकार ने कारा अधिनियम में बदलाव करके आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को रिहा कर दिया। उमा देवी इसी कानून के विरोध में सुप्रीम कोर्ट गईं हैं।
1994 में हुई थी जी कृष्णैया की हत्या
तेलंगाना (तब आंध्रप्रदेश) में जन्मे आईएएस अधिकारी कृष्णैया बिहार में गोपालगंज के जिलाधिकारी थे। 1994 में जब मुजफ्फरपुर जिले से गुजर रहे थे, तभी भीड़ ने पीट-पीट कर उनकी हत्या कर दी थी। इस दौरान इन्हें गोली भी मारी गई थी। आरोप लगा कि आनंद मोहन ने ही डीएम की ह’त्या के लिए भीड़ को उकसाया था।