बिहार में लोकसभा चुनाव में झटका सभी दलों को लगा है। राजद के लिए झटकों की तीव्रता अधिक है क्योंकि एक बार फिर राजद 04 सीटों पर ही अटक गई है। 2024 का लोकसभा चुनाव वो चौथा चुनाव है, जब राजद के सांसदों की संख्या 04 से आगे नहीं बढ़ पाई है। लालू यादव की बैकस्टेज वर्किंग और तेजस्वी यादव की ग्राउंड वर्किंग के बावजूद सारण सीट पर रोहिणी आचार्य महज 13,661 वोटों से हार गईं। जाहिर तौर पर राजद के लिए यह झटका बड़ा है। लेकिन इस झटके के एक नहीं कई और कारण भी हैं। दरअसल, हिना शहाब भी राजद को दो सीटों पर झटका देने में सफल रही हैं। इसमें सीवान सीट पर तो राजद को हिना ने सीधा झटका दिया है। लेकिन इसका असर ऐसा रहा कि सारण सीट पर हिना ने परोक्ष तौर पर लालू, तेजस्वी और रोहिणी तीनों को झटका दे दिया है।
सारण लोकसभा में रोहिणी की हार में ‘तीन’ नंबर का खेल!
बात अगर सीवान सीट की करें तो हिना शहाब भले ही जदयू की विजयलक्ष्मी देवी से हार गईं लेकिन राजद के उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी को तीसरे नंबर पर धकेल दिया। सीवान में अगर राजद को सिर्फ 1.98 लाख वोट मिले और निर्दलीय हिना शहाब को 2.93 लाख वोट मिले तो इसका साफ मतलब है कि मुसलमानों ने सीवान में राजद को नकार कर हिना का साथ दिया है। साथ ही हिना को उन वर्गों का भी साथ मिला है जो जदयू और राजद दोनों के उम्मीदवारों से नाखुश होंगे। लेकिन हिना के सीवान में निर्दलीय उतरने से सिर्फ सीवान की फिजां में एंटी राजद मैसेज नहीं गया। बल्कि पड़ोस की सीट सारण पर भी बड़ा इम्पैक्ट कर गया।
हिना ने सारण सीट पर लालू परिवार और राजद को कैसे झटका दिया है, इसका आंकलन उम्मीदवारों को मिले वोटों की संख्या देखने पर पता चलता है। सारण में तीसरे नंबर पर तो लक्ष्मण पराव यादव रहे, जो निर्दलीय उम्मीदवार थे। लक्ष्मण पराव यादव को कुल 22,043 वोट मिले हैं। जबकि चौथे नंबर पर शेख नौशाद रहे, जिन्हें 16,103 वोट मिले। मुसलमानों के एक वर्ग में राजद के लिए नाराजगी के बीज तब पड़ गए जब सीवान में राजद ने हिना शहाब को टिकट नहीं दिया। संभवत: यही कारण रहा है कि हिना शहाब को इग्नोर करने का असर सारण सीट पर भी पड़ा और रोहिणी आचार्य 13,661 वोटों से हार गईं।
रोहिणी की हार पर चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि रोहिणी हो या कोई और, जीत और हार तो कोई भी सकता है। लेकिन लोकसभा चुनाव में 13,661 वोटों से हार सभी को पच नहीं रही है। राजद ने इस सीट के लिए प्रयास तो बहुत किया लेकिन छोटी गलतियां भारी पड़ गईं।