राज्यकर्मी का दर्जा दिलाने के लिए नियोजित शिक्षकों के लिए शिक्षा विभाग की तरफ से 6 मार्च तक राज्य के 52 परीक्षा केंद्रों पर ऑनलाइन माध्यम से सक्षमता परीक्षा का आयोजन किया गया। इस परीक्षा के लिए करीब 2.21 लाख शिक्षकों ने आवदेन किया था। इधर जब शिक्षा विभाग ने आवेदन करने वाले शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी तो एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया। दरअसल, 1205 शिक्षकों के दस्तावेज़ फर्जी पाए गए। ये वैसे डाक्यूमेंट्स हैं, जिनमे एक ही सार्टिफिकेट पर या तो कई लोग नौकरी कर रहे हैं या एक ही सर्टिफिकेट पर एक ही आदमी कई जगहों पर नौकरी कर रहा है।
चूंकि सक्षमता परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन की प्रक्रिया के समय सभी शिक्षकों को अपना STET, BTET, CTET का सर्टिफिकेट अपलोड करना अनिवार्य था, अतः आवेदन के साथ ही शिक्षा विभाग के पास सारे अभ्यर्थियों के रिकॉर्ड सुरक्षित हो गए। उधर नियोजित शिक्षक एग्जाम देने में लगे थे और इधर शिक्षा विभाग के आदेश पर बिहार बोर्ड ने इनके दस्तावेजों की जांच यानी डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी। गोपनीय तरीके से की गई इस विभागीय जांच में कुल 1205 शिक्षकों को चिन्हित किया गया है, जो संदेह के घेरे में हैं। इन सभी चिन्हित शिक्षकों के डॉक्यूमेंट्स का फिजिकल सत्यापन करने के लिए इन सबों को 21 मार्च तक बुलाया गया है।
बताते चलें कि इन 1205 संदेहास्पद दस्तावेजों में सबसे अधिक 79 शिक्षकों के दस्तावेज़ अकेले नवादा जिले से हैं। वहीं, सबसे कम पांच-पांच दस्तावेज़ कैमूर और शिवहर जिले से हैं। विभाग में गठित ‘कमांड एंड कंट्रोल सेंटर’ में चरणबद्ध तरीके से शिक्षकों को बुलाकर भौतिक सत्यापन किया जा रहा है। यदि ये फर्जीवाड़ा सत्यापित हो जाता है तो ऐसे शिक्षकों की नौकरी तो जायेगी हीं, साथ हीं इनपर कानूनी कार्रवाई भी होगी।