सिवान की पहचान बदल चुकी है। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की धरती 20वीं की सदी के आखिरी दशक में मो. शहाबुद्दीन के नाम से अधिक जानी जाने लगी। सिवान की सियासत शहाबुद्दीन के इर्द-गिर्द घूमती रही। शहाबुद्दीन खुद तो कभी नहीं हारे लेकिन उनकी पत्नी को जीत नसीब नहीं हुई। आने वाला लोकसभा चुनाव पहला मौका है, जब शहाबुद्दीन का अस्तित्व समाप्त हो चुका है। पिछले दो चुनाव उनकी पत्नी हार चुकी हैं। तो राजद का अगला चेहरा हिना शहाब होंगी या कोई और, यह अभी तय नहीं है। दांव अवध बिहारी चौधरी पर भी खेले जाने की चर्चा है लेकिन सिवान में शहाबुद्दीन का प्रभुत्व ऐसा रहा है कि इसकी राह इतनी आसान नहीं होने वाली। दरअसल, पिछले दिनों अवध बिहारी चौधरी ने शहाबुद्दीन को लेकर कुछ उलझे शब्द बोल दिए। उन शब्दों में खिलाफत नहीं रही। लेकिन शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब और उनके समर्थकों ने वो रंग दिखाया कि सियासत-ए-सिवान चुनाव से पहले ही गरमा गई है।
दरअसल, सिवान में स्थिति ये है कि शहाबुद्दीन अब नहीं हैं। इस बीच अवध बिहारी चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए शहाबुद्दीन को अपना शिष्य बता दिया। मीडिया ने सवाल पूछा कि शहाबुद्दीन के आप करीबी रहे हैं? बदले में अवध बिहारी चौधरी ने जवाब दिया कि शहाबुद्दीन के हम करीबी कैसे हो सकते हैं? वो मेरा करीबी हो सकता है। वो यही जन्म लिया था। उससे हम ज्यादा उम्र के हैं। उसको हम ही राजनीति में ले आए। वो जेल में बंद था तो रिजल्ट उसका गड़बड़ा रहा था तो अपना जुलूस छोड़कर उसको मदद किए। ये तो हो गई अवध बिहारी चौधरी की बात।
दूसरी ओर हिना शहाब ने शहाबुद्दीन की मौत के बाद भी राजनीति नहीं छोड़ी हैं। वे सक्रिय हो रही हैं और उनकी सक्रियता में सिवान से लेकर गोपालगंज और दरभंगा में एक बड़ा समर्थक वर्ग दिखाया है। दरअसल, कौमी एकता कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए दरभंगा जा रही हिना शहाब जब गोपालगंज पहुंची तो अंबेडकर चौक पर उनके स्वागत में शहाबुद्दीन समर्थकों ने एक बड़ा जनसमूह खड़ा कर दिया। वहां उनके स्वागत में पहुंची भीड़ का हर शख्स उन्हें देखने के लिए, उनसे मिलने के लिए बेताब थे। हिना सहाब को देखने के लिए युवाओं का बेताबी इस कदर थी कि यहां उनके आने में जैसे-जैसे देर होती गई, युवाओं की तादाद भी बढ़ती चली गई।
दरभंगा में भी ऐसा ही माहौल रहा। वहां मौजूद भीड़ के लिए लालू-नीतीश कुछ नहीं दिखे। वहां सिर्फ शहाबुद्दीन जिंदाबाद और हिना शहाब जिंदाबाद के नारे सुनाई दे रहे थे। हिना शहाब की यह सक्रियता राजद में उन्हें किनारे करने वालों के लिए सोचनीय हो सकती है। वैसे चुनाव अभी थोड़ा दूर है। हिना की राजनीतिक खूशबू क्या रंग लाएगी, यह आने वाला वक्त बताएगा।