पटना: कोरोना जैसे एचएमपीवी (HMPV) वायरस के देश में 8 मामलों के सामने आने के बाद बिहार सरकार और पटना जिला प्रशासन इसे लेकर अलर्ट मोड में हैं। पश्चिम बंगाल में बिहार से सटे क्षेत्र में इस वायरस का एक केस पाया गया है, जिसमें एक 5 महीने के बच्चे में एचएमपीवी का संक्रमण पाया गया है। इस वायरस के प्रसार को लेकर बिहार स्वास्थ्य विभाग ने दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं, और अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है। हालांकि, सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब तक जांच नहीं होगी, तब तक मरीजों का इलाज कैसे किया जाएगा?
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स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिला अधिकारियों को सतर्क रहने और अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए हैं। यदि मामलों की संख्या बढ़ती है, तो अस्पतालों में फ्लू कॉर्नर स्थापित करने की योजना बनाई गई है। एचएमपीवी की पुष्टि आर्टिफिशियल जांच से की जाएगी, लेकिन फिलहाल राज्य में इसकी जांच की सुविधा नहीं है। सैंपल पुणे भेजे जाएंगे, और रिपोर्ट आने में 5 से 7 दिन का समय लग सकता है।
हालांकि बिहार में अभी तक एचएमपीवी के संदिग्ध मामलों का कोई पता नहीं चला है, पटना जिला प्रशासन ने कहा है कि इस मामले में पैनिक होने की कोई जरूरत नहीं है। जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि सभी आवश्यक तैयारियां की जा चुकी हैं और एसपीओ (स्पेशल प्रिवेंटिव ऑपरेशन्स) के हिसाब से व्यवस्था पूरी की गई है। साथ ही, प्रशासन ने यह भी कहा कि एयरपोर्ट पर अभी कोई विशेष सक्रियता नहीं देखी जा रही है। एयरपोर्ट अधिकारियों का कहना है कि इस समय तक कोई एडवाइजरी जारी नहीं की गई है।
सतर्कता जरूरी, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं
स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के लोगों से सतर्क रहने और एचएमपीवी के लक्षणों की पहचान करने की अपील की है, जिनमें खांसी, बुखार, जुकाम और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं। हालांकि, पटना जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है और किसी भी तरह की घबराहट की आवश्यकता नहीं है। राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि अगर वायरस के मामलों में वृद्धि होती है, तो सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे और स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।