बिहार में भारतीय जनता पार्टी ने 2024 में अच्छे दिन और बुरे दिन दोनों देख लिए हैं। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले नीतीश कुमार के साथ सत्ता में भाजपा की वापसी उसके अच्छे दिनों की शुरुआत के रूप में हुई। लेकिन लोकसभा चुनाव में मजबूत किला कही जाने वाली 05 सीटें हारकर भाजपा ने बुरे दिनों का स्वाद भी चख लिया। बिहार की सत्ता में वापसी का लाभ प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को मिला। सम्राट चौधरी विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष से डिप्टी सीएम बन गए। लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा की 05 सीटों का ठीकरा किस पर फूटेगा, यह अभी तय होना बाकि है। चूंकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ही हैं, तो जाहिर तौर पर उनकी जिम्मेदारी पहली है। तो क्या अब यह मान लिया जाए कि बिहार भाजपा के सम्राट पद से सम्राट चौधरी की विदाई तय होने वाली है? या फिर सम्राट चौधरी को भाजपा अभी आगे भी कंटीन्यू करेगी?
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दरअसल, सम्राट चौधरी के डिप्टी सीएम बनने के बाद से ही यह कयासबाजी चल रही है कि भाजपा अपना प्रदेश अध्यक्ष बदल सकती है। एक ही व्यक्ति सरकार में डिप्टी सीएम और संगठन में प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका निभाए, यह भाजपा की परिपाटी में शामिल नहीं है। लेकिन सामने लोकसभा चुनाव था तो सम्राट चौधरी को कुछ दिनों का एक्सटेंशन मिल गया। लेकिन अब चुनाव भी खत्म और आरा, बक्सर, सासाराम, औरंगाबाद, पाटलिपुत्र जैसी सीटें हारने का दाग भी सम्राट चौधरी पर लग गया है। तो उनकी विदाई तय मानी जा रही है।
आपको बता दें कि भाजपा ने बिहार में जो पांच सीटें हारी, उसमें 2024 के पहले हुए कम से कम दो चुनाव हर सीट पर भाजपा ही जीती थी। लेकिन इस बार इन सीटों को गंवा देना भाजपा के संगठनकर्ताओं को अखर रहा है। ऐसे में संभव है कि सम्राट चौधरी की प्रदेश अध्यक्ष वाली कुर्सी ज्यादा दिन न टिके।
अगर सम्राट चौधरी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से हटते हैं तो सबसे पहले सवाल आएगा कि आखिर इस कुर्सी पर अब कौन बैठेगा? जवाब मुश्किल है लेकिन संभावित चेहरों में पूर्व मंत्री जनक राम और दीघा के विधायक संजीव चौरसिया का नाम सबसे आगे है। यूपी भाजपा में जिस तरह की खींचतान की खबरें आ रही हैं, भाजपा की कोशिश होगी कि बिहार में वैसी खींचतान से पहले सबकुछ नेतृत्व अपने नियंत्रण में कर ले।