इस बार पटना के लोगों को डाक बंगला चौराहा पर दुर्गा पूजा में इंडोनेशिया का प्रसिद्ध प्रम्बानन मंदिर देखने को मिलेगा। नवयुवक दुर्गा पूजा समिति ट्रस्ट के सचिव संजीव टोनी ने मीडिया को बताया कि पिछले 2 सालों से कोरोना महामारी की वजह से पूजा सीमित थी। लेकिन इस बार हमारे तरफ से भव्य दुर्गा पूजा का आयोजन पटना के डाकबंगला चौराहा पर किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस बार पूजा का स्वरूप हर बार से अलग होगा।
बंगाल के कारीगर कर रहे निर्माण
इस पंडाल को बनाने के लिए पश्चिम बंगाल से आए कारीगर लगातार दिन-रात एक कर मंदिर को भव्य रूप देने में लगे हुए हैं। मां की प्रतिमा का स्वरूप भी इस बार अलग होगा। मां की प्रतिमा का निर्माण इको फ्रेंडली मेटेरियल से किया जा रहा है।
प्रम्बानन मंदिर की खासियत
प्रम्बानन मंदिर स्थित शिव मंदिर विशाल और स्थापत्य का बेहतरीन नमूना है। यह मंदिर परिसर के मध्य में है। शिव मंदिर के अंदर चार कक्ष बने हुए हैं। जिनमें से एक में भगवान शिव की विशाल मूर्ति विराजमान है, दूसरे में भगवान शिव के शिष्य अगस्त्य की मूर्ति है, तीसरे में माता पार्वती की और चौथे में भगवान गणेश की मूर्ति स्थित है। शिव मंदिर के उत्तर में भगवान विष्णु का और दक्षिण में भगवान ब्रह्मा का मंदिर है। मंदिर की दिवारों पर महाकाव्य रामायण की कथाओं को उत्कीर्ण किया गया है।
10वीं सदी में बना था मंदिर
मां दुर्गा के अनेक स्वरूपों में पूरी दुनिया में विराजमान है। देवी के कई पुरातन मंदिर धरती पर विद्यमान हैं, जहां देवी स्वयंभू रूप में या मानव द्वारा प्रतिष्ठित की गई है। ऐसा ही एक मंदिर इंडोनेशिया के जावा में है। 10वीं शताब्दी में बना भगवान शिव का यह मंदिर प्रम्बानन मंदिर के नाम से विख्यात है। प्रम्बानन मंदिर में महादेव के साथ देवी दुर्गा की मूर्ति विराजमान है।
देवी स्थापना की रोचक कथा
देवी की स्थापना के संबंध में एक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार जावा में प्रबु बका नाम का एक दैत्य राजा था। उसकी रोरो जोंग्गरंग नाम की बेटी थी। बांडुंग बोन्दोवोसो नाम का एक व्यक्ति रोरो जोंग्गरंग से शादी करना चाहता था, लेकिन रोरो जोंग्गरंग ऐसा नहीं चाहती थी। इसलिए उसने बांडुंग बोन्दोवोसो के सामने एक अनूठी शर्त रखी। इसके अनुसार बोन्दोवोसो को एक ही रात में 1000 मूर्तियां बनानी थी।
श्राप से बनी थी देवी
शर्त पूरा करने में बांडुंग जुट गया। उसने एक रात 999 मूर्तियां बना दी। तभी रोरो जोंग्गरंग ने पूरे शहर के चावल के खेतों में आग लगवा कर दिन के समान उजाला कर दिया। जिससे वह दिन के उजाले का धोखा खाकर बांडुंग बोन्दोवोसो आखिरी मूर्ति नहीं बना पाया और शर्त हार गया। लेकिन जब उसे हकीकत का पता चला तो नाराज होकर जोंग्गरंग को आखिरी मूर्ति बन जाने का श्राप दे दिया। कहा जाता है कि प्रम्बानन मंदिर में रोरो जोंग्गरंग की उसी मूर्ति को देवी दुर्गा मान कर पूजा की जाती है।