अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद् ने प्रख्यात शिक्षाविद, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं पाग बचाओ आंदोलन के प्रणेता डॉ. बीरबल झा को वर्ष 2022 के मिथिला विभूति पुरस्कार से सम्मानित किया। दरअसल नोएडा के इंदिरा गांधी कला केंद्र में विद्यापति स्मृति पर्व सह सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान बिहार के दरभंगा से सांसद गोपाल जी ठाकुर ने डॉ. बीरबल झा को शॉल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर इस उपाधि से सम्मानित किया। इस अवसर पर ठाकुर ने डॉ. झा की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने हजारों युवा प्रतिभाओं को अंग्रेजी शिक्षा के साथ ही कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर समाज को सशक्त करने का काम किया है।
भारत सरकार ने मिथिला के सांस्कृतिक प्रतीक चिन्ह ‘पाग’ पर डाक टिकिट जारी किया
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद् ने कहा कि मिथिला के विकास, देश की संस्कृति, शैक्षणिक व आर्थिक विकास में डॉ. बीरबल झा का योगदान उत्कृष्ट एवं अनुकरणीय रहा है। मिथिला के इतिहास में डॉ. झा के कुशल नेतृत्व में चलाये गए अभूतपूर्व भारतीय सांस्कृतिक आंदोलन ‘पाग बचाओ अभियान’ मील का पत्थर साबित हुआ। इस आंदोलन के फलस्वरूप चार करोड़ मैथिल मिथिलालोक फाउंडेशन से जुड़े। साथ ही 2017 में उनके इस कार्यक्रम को रेखांकित करते हुए भारत सरकार ने मिथिला के सांस्कृतिक प्रतीक चिन्ह पाग पर एक डाक टिकिट जारी किया, जो अभूतपूर्व है।
संस्था ने साथ ही कहा कि डॉ. बीरबल झा का शिक्षण-प्रशिक्षण के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान रहा है। उन्होंने कला क्षेत्र के साथ ही दर्जनों पुस्तकों की रचना की जिसने भारतीय युवा वर्ग का जीवन संवारने का काम किया है। डॉ. झा के द्वारा स्थापित ब्रिटिश लिंग्वा ने भारतीय युवा पीढ़ी खासकर मिथिला के युवा वर्ग के स्किलिंग एवं जीवन उन्नयन में महती भूमिका निभाई है। अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद् ने कहा कि ऐसे ओजस्वी व्यक्तित्व के धनी डॉ. बीरबल झा को सम्मानित कर संस्था कृतार्थ महसूस कर रही है।
डॉ. बीरबल झा ने संस्कृति और शिक्षा का महत्त्व बताया
वही डॉ. बीरबल झा ने इस अवसर पर कहा कि सेवा और संस्कार भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्व हैं, जो मानवीय भावों को परिष्कृत करते हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृति और शिक्षा से ही सभ्य समाज का निर्माण संभव है। एक बच्चे को सुसंस्कृत बना देना, एक संस्था को पोषित करने के समान है। मैं उम्मीद करता हूं कि हमारी भावी पीढ़ी अपनी संस्कृति और अपने कर्तव्यों के प्रति सजग बनेगी।