भागलपुर विश्वविद्यालय में 1997 में हुई 29 लेक्चरर की भर्ती में अनियमितता का मामला फिर गरमा गया है. पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और भागलपुर विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि वो इस भर्ती से जुड़े सभी दस्तावेज निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को सौंप दें. याचिकाकर्ता मधु शर्मा का आरोप है कि उस समय योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर कई अयोग्य लोगों को भर्ती कर लिया गया था.
याचिकाकर्ता का दावा
मधु शर्मा ने 1997 में आयोजित लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में भाग लिया था. उनका दावा है कि उन्हें गलत तरीके से चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया था. वहीं, विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा गठित चयन समिति ने 1100 सफल उम्मीदवारों की सूची बनाई थी. लेकिन आरोप है कि नियुक्ति में राजनीतिक दबाव और कुलपति के करीबियों को फायदा पहुंचाया गया.
हाईकोर्ट का आदेश
याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बिबेक चौधरी की एकलपीठ ने यह आदेश दिया है. कोर्ट ने भले ही मामले में सीधे तौर पर हस्तक्षेप नहीं किया है, लेकिन निगरानी अन्वेषण ब्यूरोको जांच में पूरा सहयोग करने के लिए कहा है. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो दस्तावेजों की जांच कर यह तय करेगा कि उन्हें सबूत के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है या नहीं. इसके बाद जांच एजेंसी आगे की कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगी.
क्या है उम्मीद?
हाईकोर्ट के इस आदेश से उम्मीद जगी है कि भागलपुर विश्वविद्यालय में लेक्चरर की भर्ती में हुए इस मामले की निष्पक्ष जांच होगी. एनवीआई की जांच से सच सामने आ सकता है और योग्य उम्मीदवारों को न्याय मिल सकता है.