पर्यावरण संरक्षण की बात चल पड़ी है। प्रकृति के विभिन्न तत्वों के महत्ता को फिर से लोग समझने लगे हैं। सनातन परंपरा में प्रकृति पूजा का प्रचलन शुरु से है और वर्ष के कोई न कोई दिन देवता पूजन के साथ-साथ प्रकृति पूजन से जुड़ा है। इस पृथ्वी के सजीवों की साक्षात निर्भरता सूर्य और जल पर टिकी हुई है। उनके आराधना का पर्व पवित्रता के साथ-साथ सादगी का प्रतीक भी है। छठ पूजा हिंदू धर्म का प्राचीन त्योहार है जो सूर्य भगवान और गंगा मां को समर्पित है।
प्रकृति के प्रति संवेदनशील
राज्य में सदियों से इस महापर्व को पूरे उत्साह और भक्ति भाव से मनाया जाता है। प्राचीन ऋग्वेद ग्रंथों और सूर्य की पूजा के लिए विभिन्न प्रकार की चर्चाएं भजन के रुप में मिलती है। इससे साफ जाहिर होता है कि इस महापर्व में प्रकृति का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। छठ महापर्व में प्रकृति से जुड़ी चीजों को देखने को मिलता है। इस मौके पर आम के दातुन, प्रसाद बनाने के लिए आम की लकड़ी, मिट्टी का चूल्हा, विभिन्न प्रकार के फलों की इसमें महता होती है। समय के साथ पर्यवारण पूरी तरह से प्रभावित होता चला जा रहा था। वनों की कटाई होने से जल संकट उत्पन्न होने लगा था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसको लेकर काफी संवेदनशील हुए और उन्होंने इसे बहुत ही गहराई से महसूस किया। अब के समय में मुख्यमंत्री की जल-जीवन-हरियाली अभियान पूरी तरह से और सार्थक साबित हो रहा है।
जल और हरियाली है तभी जीवन सुरक्षित है
पूरे विश्व में प्रकृति विमुख मानवीय गतिविधियों, विकास की असंतुलित अवधारणाओं एवं प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण पारिस्थितिकीय असंतुलन का संकट संपूर्ण मानव जाति के लिए एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। विगत वर्षो में जलवायु परिवर्तन एक बड़े खतरे के रूप में उभरा है। इन सारी समस्याओं से निबटने के लिए मुख्यमंत्री की जल-जीवन-हरियाली अभियान सार्थक साबित हो रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर कहते हैं कि अगर जल है और हरियाली है तभी जीवन सुरक्षित है। इसी को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री ने अनेक काम शुरु कराए हैं, जिसका प्रमाण देखने को मिल रहा है।
पर्यावरण संरक्षण के साथ अभियान बना आमदनी का जरिया
राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण को बचाने के लिए ठोस प्रयास शुरू किया गया। जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत 09 अगस्त, 2019 को की गयी थी। जल-जीवन-हरियाली अभियान की जो शुरुआत हुई उसी का एक भाग है गंगाजल आपूर्ति योजना। गंगाजल की आपूर्ति राजगीर में, गया और बोधगया में की गई है। जल-जीवन-हरियाली योजना बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है जिसके तहत जल संरक्षण और वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाता है। जल-जीवन-हरियाली अभियान से किसानों को भी कृषि कार्य में सुविधा हो रही है जिससे उनकी आमदनी भी बढ़ने लगी है। सिंचाई, वृक्षारोपण, बागवानी और फूलों की खेती, चारागाह विकास, मत्स्य पालन, आदि के प्रयोजनों के लिए वर्षा के पानी की हर बूंद का संचयन जरुरी है। वर्षा जल संचयन और प्रबंधन से किसानों और ग्रामीणों, पशु-पक्षियों को काफी सुविधा हो रही है। जल संग्रहण का बेहतर प्रबंधन अब छठ महापर्व के लिए भी काफी उपयोगी साबित हो रहा है।
पर्यावरण को संरक्षित रखने तथा जल संचयन के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार अभियान चला रहे हैं। इसके लिए हर स्तर पर लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रकृति को सुरक्षित रखने के साथ-साथ हमारे आमदनी का भी जरिया सुदृढ़ स्थिति में आ रहा है। बिहार में जल संचयन से पीने के पानी से लेकर पेड़-पौधों सहित जीव-जंतुओं के जीवन को भी सुगम बना रहा है। ऐसे में देखी जाए तो छठ महापर्व जैसे मौके पर जल-जीवन-हरियाली की सार्थकता देखने को मिल रही है। जहां लोग दूर दराज जाने को विवश हो चुके थे छठ महापर्व को मनाने के लिए अब उनके गांव के सूखे आहर, पइन, कुओं में पानी की उपलब्धता ने जीवन के हर पहलू को सुलभ बना दिया है।